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गया में दलहन व तेलहन उत्पादन में काफी संभावनाएं : सुदामा महतो

गया न्यूज : रबी अभियान 2024-25 का भूमि संरक्षण निदेशक सुदामा महतो ने दीप जला किया शुभारंभ

गया न्यूज : रबी अभियान 2024-25 का भूमि संरक्षण निदेशक सुदामा महतो ने दीप जला किया शुभारंभ

गया़

रबी अभियान 2024-25 एवं कृषि यांत्रीकरण मेला-सह-प्रदर्शनी 2024 का चंदौती स्थित बाजार समिति प्रांगण में सोमवार को कृषि निदेशालय पटना से आये भूमि संरक्षण विभाग के निदेशक सुदामा महतो व संयुक्त निदेशक (षष्य), मगध प्रमंडल ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर शुभारंभ किया. भूमि संरक्षण निदेशक ने कहा कि गया जिला सूखा प्रभावित क्षेत्र है, यहां दलहन व तेलहन के क्षेत्र विस्तार की बहुत अधिक संभावनाएं हैं. इसके लिए आवश्यक है कि यहां जलवायु के अनुकूल बीज प्रभेद का चयन हो.

सम्मानित किये गये किसान, कृषि सलाहकार, बीएओ समेत अन्य

रबी कार्यशाला में गया जिले में उत्कृष्ट खेती करने वाले पांच किसानों, पांच किसान सलाहकार, चार कृषि समन्वयक, तीन सहायक तकनीकी प्रबंधक व दो प्रखंड कृषि पदाधिकारियों को सम्मानित किया गया. गुरारु के मो अनीस मियां, विनीत कुमार रंजन, गुरुआ प्रखंड के आशुतोष कुमार, डुमरिया प्रखंड के रंजन कुमार व बोधगया प्रखंड के जितेन्द्र तिवारी को तिल, मिलेट्स, केला, मक्का एवं समेकित खेती के लिए सम्मानित किया गया. जिला कृषि पदाधिकारी अजय कुमार ने कहा कि चतुर्थ कृषि रोड मैप के तहत जलवायु के बदलते परिवेश को ध्यान में रखकर व दलहन एवं तेलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार, उत्पादन व उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2024-25 में फसल विविधीकरण के तहत गेहूं 105148 हेक्टेयर में गेहूं, 44904 हेक्टेयर में दलहन व 9259 हेक्टेयर में तेलहन फसल आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इसके लिए कृषि विभाग द्वारा प्रत्यक्षण के साथ-साथ अनुदानित दर पर प्रमाणित बीजों को वितरण गेहूं 17735 क्विंटल, दलहन 9384 क्विंटल और तेलहन 128.50 क्विंटल कराया जा रहा है.

वित्तीय वर्ष में लाॅटरी के माध्यम से निर्गत किया जा रहा स्वीकृति पत्र

सहायक निदेशक, कृषि अभियंत्रण ने कहा कि कृषि यांत्रीकरण योजना के तहत 75 प्रकार के कृषि यंत्रों पर अनुदान देने का प्रावधान है. इस वित्तीय वर्ष लाॅटरी के माध्यम से स्वीकृति पत्र निर्गत किया जा रहा है. फसल अवशेष प्रबंधन (पराली जलाने की घटना) को ध्यान में रखकर कृषि यांत्रीकरण योजना में स्पेशल कस्टम हायरिंग कार्यक्रम के तहत स्ट्रा रीपर, स्ट्रा बेलर, स्कवायर बेलर एवं सुपर सीडर इत्यादि यंत्रों पर अनुदान उपलब्ध कराया जा रहा है़ उक्त योजना में विगत वर्ष में शत-प्रतिशत उपलब्धि हासिल हुई है. इस वर्ष भी उपरोक्त यंत्रों की खरीद के लिए किसानों से 7573 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिसमें से 3031 किसानों को लाॅटरी के माध्यम से स्वीकृति पत्र निर्गत किया गया है़ इसके विरुद्ध 1941 किसानों को 2,32,54,686 रुपये अनुदान राशि का भुगतान किया जा चुका है. जैविक खेती प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत 779 इकाई पक्का वर्मी कंपोस्ट इकाई एवं चार इकाई बायो/गोबर गैस प्लांट की स्थापना के लिए सभी प्रखंडों को लक्ष्य उपलब्ध करा दिया गया है. इसके डीबीटी पोर्टल के माध्यम से किसानों की ओर से ऑनलाइन आवेदन प्राप्त करना है़ इसके लिए पोर्टल 31 अक्तूबर से 30 नवंबर तक खुला रहेगा.

वर्तमान में वैज्ञानिकों की ओर से जैविक खेती पर दिया जा रहा बल

सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अत्यधिक व अनुचित रसायनों के प्रयोग से मृदा के सूक्ष्म जीवों का विनाश हो रहा है़ फलस्वरूप, मृदा की उर्वरता एवं उत्पादन के टिकाऊपन में लगातार कमी हो रही है. रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशियों के आसमान छूते मूल्य के कारण खेती की लागत में लगातार वृद्धि हो रही है. इन तथ्यों को ध्यान में रखकर वर्तमान में वैज्ञानिकों की ओर से जैविक खेती पर बल दिया जा रहा है. जैविक खेती में मुख्य रूप से उर्वरता प्रबंधन के लिए कार्बनिक खाद (कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट), हरित खाद एवं जैव उर्वरक इत्यादि का प्रयोग किया जाता है. कीट व रोगों के प्रबंधन के लिए बायोपेस्टीसाइड का प्रयोग किया जाता है. जैविक खेती में प्रयोग होने वाले अधिकांश उपादान कृषक अपने स्त्रोत से अपने प्रक्षेत्र पर तैयार कर सकते हैं. रबी कार्यशाला में कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर एवं आमस के वरीय वैज्ञानिक, जिला मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, सहायक निदेशक, भूमि संरक्षण, सहायक निदेशक, उद्यान, सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण, सहायक निदेशक, रसायन, सभी अनुमंडल कृषि पदाधिकारी, सभी प्रखंड कृषि पदाधिकारी, सभी कृषि समन्वयक, सभी बीटीएम, एटीएम एवं किसान सलाहकार उपस्थित रहे.

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