निरसा के एक गांव में नौ नवंबर को एक शर्मसार करने वाली घटना हुई. गांव के एक निहायत गरीब परिवार की 15 वर्षीय नाबालिग बेटी के साथ उसके रिश्ते के भाई ने दुष्कर्म किया और जब पीड़िता ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली, तो दबंगों ने लोकलाज और पुलिस केस का हवाला देकर चुपचाप उसका अंतिम संस्कार करा दिया. असहाय पिता जब बेटी का अंतिम संस्कार कर घर पहुंचे, तो बेटी की माेबाइल पर फांसी लगाने से पहले छोड़ा गया बेटी का अंतिम संदेश सुना. रोते हुए पीड़िता ने बांग्ला में अपने गरीब पिता से मांग की थी कि जिस दरिंदे ने उसकी यह दुर्दशा की है, आप उसे कभी माफ नहीं करेंगे. अंतिम सांस तक उस दरिंदे को सजा दिलाने का काम करना. यह सुन जब वह पंचायत में गये, तो वहां पर भी दबंगों का असर दिखा. निरसा नेशनल हाइवे के किनारे एक जगह पर बैठक हुई. जिम्मेदार लोग बैठक में थे, पर सबने उनकी बेटी की जान और अस्मत की कीमत दो लाख रुपये लगा दी गयी. उनको परिवार सहित चुप रहने का आदेश हुआ. सोमवार 11 नवंबर को उस बेटी का श्राद्ध कर्म था. इस दौरान जब यह पत्रकार पहुंचा, तो पिता-माता व अन्य परिजन बार-बार अचेत हो रहे थे. पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ था. कोई भी व्यक्ति सामने नजर नहीं आ रहा था. आरोपित पक्ष घर से फरार हैं. आरोप है कि किसी ने भी मामले में साथ नहीं दिया.
क्या है मामला :
मामला निरसा थाना क्षेत्र के ऊबचूड़िया के आसपास का है. पीड़िता 10वीं की छात्रा थी. वह पढ़ने में काफी तेज थी. काली पूजा के अवसर पर छुट्टी में घर आयी थी. पांच नवंबर को उसने रिश्ते के अपने भाई से उसका स्कूटी चलाने के लिए मांगा. भाई ने स्कूटी तो दे दी, लेकिन उससे कहा था कि स्कूटी उसके दूसरे नये घर में लाकर उसे दे. पीड़िता जब उसके नया घर पर पहुंची, तब उसने वहां उसको पकड़ लिया. वह छोड़ने की गुहार लगाती रही, पर उसने उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता जब घर पहुंची, तो पिता की गरीबी और लोकलाज के भय से किसी को कुछ बात नहीं पायी. वह अनमना सी रहने लगी. जब माता-पिता ने उसे परेशान देख मामला पूछा तो उसने तबीयत खराब होने की बात कही. उसने खाना-पीना भी छोड़ दिया. नौ नवंबर की शाम उसके पिता मजदूरी करने के लिए गये थे, मां ग्रुप लोन के लिए महिला स्वयं सहायता समूह की बैठक में भाग ले रही थी. वृद्ध दादा और दादी घर पर अकेले थे, इसी बीच उसने आत्महत्या कर ली है. उसने अपनी सात साल की बहन कहा था कि उसके साथ अनहोनी हुई है. वह इस दुनिया में नहीं रहेगी, पर छोटी उम्र की बहन को समझ नहीं आया. वह भी ट्यूशन पढ़ने के लिए चली गयी थी. जब मां घर पहुंची, तो देखा कि घर का एक कमरा बंद है, पूछने पर पता चला उसमें बेटी है. आवाज लगाया, तो दरवाजा नहीं खुला. इस पर उन्होंने ग्रामीणों को बुलाकर उसने दरवाजा का कुंडी तोड़ा, तो देखा कि बेटी ने पंखा के सहारे आत्महत्या कर ली है.पंचायती के नाम पर भी दबंगई :
बेटी के आत्महत्या की जानकारी मिलने पर पीड़ित पिता जब समाज के जवाबदेह लोगों के पास पहुंचे, तब उनको दो लाख रुपये का दिया गया प्रलोभन. पंचायती में दबंगों ने कई बाहरी लोगों को भी बुला लिया था. उन लोगों ने पिता को समझाया कि पुलिस को जानकारी मिली, तो इज्जत जाने के साथ-साथ पुलिस फांसी के कारण उन्हें भी पकड़ लेगी. कहा गया कि शाम पांच बजे उसकी बेटी ने आत्महत्या किया है, रात नौ बजे के बाद अगर वह लाश अपने घर में रखता है, तो वह अपने फंस जायेगा. भयभीत घर के एकमात्र कमाऊ सदस्य पिता ने आसपास के लोगों के साथ मिलकर बेटी का अंतिम संस्कार कर दिया.बेटी की चौकी के नीचे मिले मोबाइल से खुला राज :
घटना को लेकर मां की हालत गंभीर थी. उन्हें किसी बात का होश नहीं था. दूसरे दिन जब मृतका की फुआ मौसी पहुंची तो घर की तलाशी ली तब उनको पीड़िता के कमरे में चौकी के नीचे पड़ा एक मोबाइल मिला. उन्होंने जब चेक किया तो उसमें पीड़िता का रिकॉर्ड किया हुआ बयान मिला. उन्होंने जब पिता को इस बात की जानकारी दी, तो वह दुबारा उस मोबाइल को लेकर समाज के लोगों के पास गये, पर उनकी एक नहीं सुनी गयी. हालत यह है कि पढ़ने में तेज एक बच्ची को फांसी लगाने के लिए विवश करने का आरोपी सजा से दूर है और एक गरीब परिवार जिसकी बेटी की जिंदगी और अस्मत की कीमत दो लाख रुपये लगायी गयी, उसका अभागा परिवार दर-दर की ठोकर खाने पर मजबूर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है