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तृणमूल ने चुनाव आयोग पर लगाया देर से मिलने का समय देने का आरोप

तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि आयोग ने उसकी शिकायत के संदर्भ में उसे राज्य में उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार समाप्त होने से केवल 90 मिनट पहले का समय दिया.

कहा-प्रचार खत्म होने से ठीक 90 मिनट पहले मिलने का दिया समय

संवाददाता, कोलकातापश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों के कथित दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए निर्वाचन आयोग का रुख करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि आयोग ने उसकी शिकायत के संदर्भ में उसे राज्य में उपचुनाव को लेकर चुनाव प्रचार समाप्त होने से केवल 90 मिनट पहले का समय दिया. लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय, राज्यसभा संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन और सांसद कीर्ति आजाद, साकेत गोखले एवं सुष्मिता देव सहित तृणमूल नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को निर्वाचन आयोग से मुलाकात की और राज्य में जारी उपचुनाव के प्रचार अभियान से संबंधित दो ज्ञापन सौंपे.

सोमवार को निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में तृणमूल ने कहा कि वह इस बात से ‘निराश’ है कि उन्हें सोमवार को अपराह्न 3.30 बजे का समय दिया गया, जो शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का समय समाप्त होने से केवल 90 मिनट पहले है. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह देरी भाजपा को लाभ पहुंचाने के मकसद से की गयी है. इससे चुनावों की निष्पक्षता से समझौता किया जा रहा है और लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता में जनता का विश्वास कम हो रहा है. तृणमूल ने निर्वाचन आयोग को लिखे पत्र में कहा, ‘इससे इन चिंताओं को उठाने का उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है, क्योंकि इस महत्वपूर्ण समय में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकती.’ उन्होंने कहा, ‘हम चुनावी शुचिता के उल्लंघन के संबंध में नौ नवंबर 2024 को हमारे द्वारा प्रस्तुत दो गंभीर शिकायतों के संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के इससे निपटने के तरीके पर अपनी गहरी निराशा और चिंता व्यक्त करते हैं.’ तृणमूल ने राज्य में ‘सीएपीएफ कर्मियों के अवैध गतिविधियों में लिप्त रहने’ का आरोप लगाया है. पार्टी ने आरोप लगाया, ‘हमने बताया था कि राज्य पुलिस की अनिवार्य उपस्थिति के बिना काम कर रहे सीएपीएफ कर्मी, कथित तौर पर लोगों के घरों में घुसकर मतदाताओं को डराते हैं और उन्हें भाजपा के पक्ष में प्रभावित करते हैं.’ तृणमूल ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को सीधे तौर पर कमजोर करने वाले इन मुद्दों में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है.

आयोग ने तृणमूल के आरोपों को किया खारिज

निर्वाचन आयोग (ईसी) ने शिकायतों पर कार्रवाई में देरी या कार्रवाई नहीं करने के तृणमूल कांग्रेस के आरोप को सोमवार को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने पश्चिम बंगाल उपचुनाव के सिलसिले में पार्टी से शिकायत मिलने पर 20 घंटे के अंदर जरूरी कदम उठाये. तृणमूल को भेजे जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि यह ‘आश्चर्यजनक’ है कि नौ नवंबर को दोपहर में आवेदन मिलने के ‘20 घंटे के भीतर’ आयोग द्वारा त्वरित कार्रवाई करने के बाद भी, ‘विलंब संबंधी अवांछनीय टिप्पणियां’ की गयी हैं. आयोग ने कहा, ‘ऐसे में यह आयोग, निष्क्रियता और देर से जवाब के आपके आरोपों को पूरी तरह से निराधार, तथ्यों से रहित और भ्रामक मानते हुए खारिज करता है. आयोग ने कहा कि पश्चिम बंगाल में आगामी उपचुनाव से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के वास्ते एक प्रतिनिधिमंडल को समय देने का तृणमूल का अनुरोध ईमेल से आठ नवंबर शाम 5.17 बजे मिला. चुनाव आयोग के जवाबी पत्र में कहा गया है, ‘लेकिन उसमें किसी मुद्दे का जिक्र नहीं है, जिस पर चर्चा की जरूरत है. इस अनुरोध के बारे में स्मरण पत्र ई-मेल नौ नवंबर को पूर्वाह्न नौ बजकर 57 मिनट पर मिला. इस पत्र में कहा गया है कि हालांकि, इसमें भी न तो कोई स्पष्ट मुद्दा बताया गया और न ही कोई ज्ञापन संलग्न किया गया. जब आयोग ज्ञापन प्राप्त करने या बैठक का विषय जानने का इंतजार कर रहा था, तब एआइटीसी (अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस) का एक प्रतिनिधिमंडल नौ नवंबर को आयोग कार्यालय आया और दो ज्ञापन सौंपे. आयोग के जवाब में कहा गया है कि दोनों ही ज्ञापन पर ‘त्वरित कार्रवाई’ करते हुए आयोग ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को सुरक्षा बलों की तैनाती के अत्यावश्यक मुद्दे का पहले समाधान करने को कहा. आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के सीईओ ने यहां आयोग के कार्यालय में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिवेदन प्राप्त होने के ‘20 घंटे के भीतर’ 10 नवंबर को राज्य पुलिस नोडल अधिकारी (एसपीएनओ) और राज्य सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) समन्वयक के साथ राज्य स्तरीय बल तैनाती समिति की बैठक बुलायी. आयोग ने कहा,‘यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक क्यूआरटी (त्वरित कार्रवाई दल), जिसमें सीएपीएफ के कंपनी कमांडर के नेतृत्व वाली टीम भी शामिल है, में एक एएसआइ या एसआइ स्तर का राज्य पुलिस कर्मी शामिल होगा. जवाब में कहा गया है कि जहां तक सुकांत मजूमदार के कथित भाषण से जुड़ा दूसरा विषय है, तो आयोग पहले ही उन्हें नोटिस भेज चुका है.

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