Chinese Visa: चीनी वीजा फर्जीवाड़ा से जुड़े सीबीआई मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को अभिषेक वर्मा और कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को बरी कर दिया.
क्या है मामला
यह मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक चीनी टेलीकॉम कंपनी के अधिकारियों को वीजा नियमों में छूट देने के लिए लिखे गए पत्र से जुड़ा है. आरोप है कि कांग्रेस नेता के लेटरहेड पर फर्जी पत्र लिखा गया था.
चीनी वीजा भ्रष्टाचार मामले में कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने 17 अक्टूबर को कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और अन्य के खिलाफ 2011 में एक बिजली कंपनी के लिए चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने में कथित रिश्वतखोरी के संबंध में आरोप पत्र दायर किया है. उस समय उनके पिता पी चिदंबरम केंद्रीय गृह मंत्री थे.
सीबीआई की प्राथमिकी में क्या है खास
सीबीआई ने 2022 में दर्ज अपनी प्राथमिकी में दो साल की जांच के बाद आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पंजाब स्थित टीएसपीएल 1980 मेगावाट का ताप विद्युत संयंत्र स्थापित कर रही थी और यह काम चीनी कंपनी ‘शेडोंग इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प’ (एसईपीसीओ) को सौंपा गया था. परियोजना के काम में अपने निर्धारित समय से विलंब हो रहा था और कंपनी पर कथित तौर पर जुर्माना लगने की आशंका थी.
सीबीआई ने 2022 में क्या बताया था?
सीबीआई ने 2022 में एक बयान में कहा था, विलंब के लिए दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए, मानसा की उक्त निजी कंपनी (टीएसपीएल) जिला मानसा (पंजाब) में अपनी परियोजना के लिए अधिक से अधिक चीनी व्यक्तियों और पेशेवरों को लाने की कोशिश कर रही थी और इसके लिए उसे गृह मंत्रालय द्वारा लगाई गई सीमा से अधिक परियोजना वीजा की आवश्यकता थी. सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि टीएसपीएल के एक अधिकारी ने अपने करीबी सहयोगी भास्कररमन के माध्यम से कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया था.