Bihar by-election: बिहार में चार विधानसभा सीटों इमामगंज, बेलागंज, तरारी और रामगढ़ क्षेत्र में हो रहे उप चुनाव में मतदाता बुधवार को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इस उपचुनाव में राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा तो दांव पर लगी ही है कई बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. सबसे बड़ी बात यह है कि करीब सभी सीटों पर विरासत बचाने की लड़ाई है. अगर किसी भी सीट पर उलट फेर होगा तो यह बड़े नेताओं के लिए राजनीतिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाला होगा.
गया में पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर
गया के इमामगंज विधानसभा सीट से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान समय में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पुत्रवधू दीपा मांझी एनडीए प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान है. ऐसे में यह सीट केंद्रीय मंत्री के साख का सवाल बना हुआ है. यहां राजद और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी से उन्हें कड़ा मुकाबला मिल रहा है.
जगदानंद सिंह पर बेटे को विधायक बनाने की जिम्मेदारी
रामगढ़ विधानसभा सीट से राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के छोटे पुत्र अजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं. यह सीट उनके बड़े पुत्र सुधाकर सिंह के सांसद बन जाने के बाद खाली हो गई थी. ऐसे में यहां का उपचुनाव राजद से ज्यादा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. इस सीट को जीतने के लिए राजद के बड़े नेता तेजस्वी यादव ने जनसभा को संबोधित करने के साथ ही चुनाव प्रचार किया था. इस सीट पर राजद नेताओं ने जमकर पसीना बहाया है.
बेलागंज में सुरेंद्र यादव के साख की लड़ाई
इसी तरह बेलागंज सीट भी सांसद सुरेंद्र यादव के साख से जुड़ गया है. यहां राजद ने सांसद के पुत्र डॉ विश्वनाथ को चुनावी मैदान में उतार दिया है. बेलागंज सीट लंबे समय से राजद के कब्जे में रहा है. सुरेन्द्र यादव यहां लंबे समय तक बेलागंज के विधायक रहे हैं. यहां से जदयू ने मनोरमा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मनोरमा देवी के लिए प्रचार करने आए और लोगों को लालू यादव के शासन की याद दिलाई.
तरारी में प्रशांत किशोर ने बनाई लड़ाई दिलचस्प
इस उप चुनाव में तरारी सीट पर भी सबकी निगाह लगी हुई है. तरारी सीट से इस उप चुनाव में दिग्गज और बाहुबली नेता सुनील पांडेय के पुत्र भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में पहली बार भाग्य आजमा रहे हैं. इधर, इस उप चुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी प्रत्याशी उतारकर लड़ाई को दिलचस्प बना दिया है. कितनी सीटें इस चुनाव में जनसुराज को मिलेगी इस पर सबकी नजर है. ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर जनसुराज ने कोई भी सीट पर जीत दर्ज कर विरासत की सियासत को रोकने में सफल हो गई तो यह जनसुराज के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी.