मधुपुर. शहर समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों में तुलसी विवाह उत्सव पारंपरिक रूप से मनाया गया. बताया जाता है कि यह एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है, त्योहार को महिला बड़े धूमधाम से मनाती हैं. ऐसी मान्यता है कि यह दिन भगवान विष्णु व तुलसी के पौधे के मिलन का प्रतीक है. इस संबंध में पुजारी नरेश पंडित ने बताया कि आज के दिन को विशेष रूप से धार्मिक महत्व दिया जाता है, क्योंकि यह विवाह के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है. हर साल कार्तिक पूर्णिमा के स्नान से 100 अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है. तुलसी विवाह की पूजा बहुत ही सरल और प्रभावशाली होती है. महिलाओं द्वारा घर में तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाया जाता है. साथ ही तुलसी के पौधे के चारों ओर तीन या सात परिक्रमा कर उसे प्रणाम करती है. तुलसी विवाह का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. इस दिन तुलसी माता का विवाह भगवान शालीग्राम के साथ करवाया जाता है, जो भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं. घर में तुलसी का पौधा रखने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री हरि राजा बलि के राज्य से चातुर्मास का विश्राम पूरा कर बैकुंठ लौटे थे. ———————————————————————————————————————– पारंपरिक ढंग से मनाया गया तुलसी विवाह उत्सव, घर में खुशहाली बनी रहती
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