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Gopalganj News : इमिलिया श्मशान की जमीन का सौदा करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी में जुटा प्रशासन

Gopalganj News : भोरे के इमिलिया में श्मशान की सरकारी जमीन को भू-माफियाओं ने बेच दिया. भोरे के तत्कालीन सीओ, सीआइ व राजस्व कर्मचारी के द्वारा जमाबंदी कायम कर दी गयी. प्रभात खबर के खुलासे के बाद प्रशासन एक्शन मोड में है.

गोपालगंज. भोरे के इमिलिया में श्मशान की सरकारी जमीन को भू-माफियाओं ने बेच दिया. भोरे के तत्कालीन सीओ, सीआइ व राजस्व कर्मचारी के द्वारा जमाबंदी कायम कर दी गयी. प्रभात खबर के खुलासे के बाद प्रशासन एक्शन मोड में है. अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा की टीम ने इमिलिया पहुंच कर भोरे सीओ अनुभव राय और अंचल अमीन के साथ जमीन की जांच की. जांच में प्रभात खबर के समाचार पर मुहर लगी. जांच टीम ने पाया कि भोरे अंचल के इमिलिया मौजा में खाता संख्या – 229, सर्वे नं. – 140, रकबा – 19 कट्ठा 13 धुर खतियान में गैर मजरूआ मालिक, किस्म – परती कदीम करके दर्ज है. जांच टीम को मौके पर ग्रामीणों ने बताया कि जमीन पर गांव के लोग कर्मकांड का काम किया करते थे. सार्वजनिक बगीचा भी था. जहां खलिहान का काम लिया जाता था. बाद में उसे श्मशान की भूमि बना दी गयी. तब से लेकर आज तक उक्त जमीन पर यही काम होता आया है. इस जमीन को वर्ष 1995 में इमिलिया निवासी कुंदन भगत के पुत्र जुड़ावन भगत ने अपने ही गांव के पूरण भगत के पुत्र चौरी भगत और श्यामलाल भगत के नाम से बैनामा कर दिया. 19 अगस्त 1995 को यह रजिस्ट्री तहरीर की गयी. इसकी डीड संख्या 1286 थी. तब से लेकर उस जमीन पर किसी ने कोई दावा नहीं किया था. 24 साल बाद सेटिंग कर करा लिया दाखिल-खारिज 12 अगस्त 1995 को इस जमीन की खरीद-बिक्री हो गयी, तो उसके 24 साल बाद 26 जुलाई 2019 को चौरी भगत के लड़के हीरालाल भगत ने जमाबंदी के लिए आवेदन किया था. हैरत की बात यह रही कि जिस जमाबंदी का कार्य सालों साल नहीं हो रहा है. वो जमाबंदी तीन माह के अंदर की गयी. इस मामले में 22 अक्तूबर 2019 को तब सीओ रहे जितेंद्र कुमार सिंह ने जमाबंदी कायम कर दी. इस जमीन को राजस्व कर्मचारी महेश कुमार सिंह और राजस्व अधिकारी चंद्रशेखर गुप्ता की रिपोर्ट को आधार मानते हुए जमाबंदी की गयी. इमिलिया मौजा में जमीन की जमाबंदी के केस नंबर 469/19-20 में सीओ जितेंद्र कुमार सिंह ने लिखा था कि हल्का कर्मचारी अंचल निरीक्षक के जांच प्रतिवेदन से ज्ञात होता है कि प्रतिवेदित भूमि शांतिपूर्ण कब्जे में है. सीओ ने बताया है कि यह जमीन गैर मजरूआ, आम गैर मजरूआ खास, आम, श्मशान और अन्य उपयोग उपयोग की भूमि नहीं है. सरकारी जमीन को बड़ी चालाकी से वर्ष 1995 में बेच दिया गया. मामला ठंडा होने तक 24 वर्षों तक खारिश दाखिल के लिए अप्लाइ नहीं किया गया, लेकिन वर्ष 2019 में जितेंद्र कुमार सिंह के कार्यकाल में इसकी जमाबंदी कर दी गयी. इस संबंध में अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा ने बताया कि इमिलिया की जांच में सरकारी जमीन को बेच देने का मामला पाया गया है. तब के सीओ, सीआइ, राजस्व कर्मचारी व जमीन बेचने वाले पर भी कार्रवाई की तैयारी चल रही है. जमाबंदी को रद्द करने की कार्रवाई अलग से की जा रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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