-भगवान विष्णु की उपासना से होती है अक्षय फल की प्राप्ति
खरसावां.
सरायकेला-खरसावां जिला में मंगलवार को पवित्र देवोत्थान एकादशी का व्रत मनाया गया. मौके पर क्षेत्र के मंदिरों में विशेष विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की गयी. देवोत्थान एकादशी के साथ ही चतुर्मास की समाप्त हुई. अब मांगलिक कार्य शुरू होंगे. देवोत्थान एकादशी पर मंदिरों में पूजा के लिये श्रद्धालु भी पहुंचे थे. खरसावां के जगन्नाथ मंदिर, हरि मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर व हरिभंजा के जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं ने पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की. इसके साथ सरायकेला के मंदिरों में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच कर पूजा-अर्चना की. पूजा के साथ श्रद्धालुओं ने उपवास भी रखा. देवोत्थान एकादशी में शंखध्वनि के साथ भगवान श्रीहरि विष्णु से संबंधित कथाओं का पाठ किया गया. धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने लंबे समय तक युद्ध कर दानव शंखासूर का वध किया था. युद्ध में आयी थकान के बाद भगवान विष्णु सो जाते हैं तथा देवोत्थान एकादशी के दिन जागते हैं. मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की उपासना करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. इस कारण ही बड़ी संख्या में लोग देवोत्थान एकादशी के दिन पूजा अर्चना करने मंदिरों में पहुंचते हैं.तुलसी विवाह का हुआ आयोजन
मंगलवार को देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह व्रत का आयोजन किया गया. खरसावां के विभिन्न स्थानों पर तुलसी व श्रीहरि विष्णु पाषाण रूप शालिग्राम के विवाह की रस्म को पूरा किया गया. शालिग्राम के रूप में भगवान विष्णु को तुलसी मंडप के पास रखकर तुलसी व विष्णु के विवाह को संपन्न कराया जायेगा. मान्यता है कि तुलसी भगवान विष्णु सबसे अधिक प्रिय है. मंगलवार को तुलसी विवाह के साथ ही हिन्दू धर्मावलंबियों के शुभ मांगलिक कार्य भी शुरू हो गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है