कोलकाता. पश्चिम बंगाल के दो विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर जल्द ही शिक्षा विभाग विज्ञापन जारी किया जायेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य सरकार ने विगत जुलाई में राज्य सहायता प्राप्त 36 विश्वविद्यालयों में वीसी पद के लिए आवेदन आमंत्रित करते हुए एक विज्ञापन जारी किया था. अब उच्च शिक्षा विभाग दो विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदन मांगने के लिए शीघ्र एक नया विज्ञापन प्रकाशित करेगा. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली सर्च कमेटी को दो विश्वविद्यालयों, रवीन्द्र भारती यूनिवर्सिटी और वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के लिए उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिले. अब सरकार फिर से विज्ञापन जारी कर दोनों विश्वविद्यालयों के लिए आवेदन मांगेगी. शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि प्रेसीडेंसी, जादवपुर सहित अन्य विश्वविद्यालयों के लिए उम्मीदवारों की शॉर्ट लिस्टिंग पूरी हो गयी है. हालांकि, कमेटी रवींद्रभारती यूनिवर्सिटी और वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के लिए किसी भी उम्मीदवार को शॉर्टलिस्ट नहीं कर सकी क्योंकि कोई उपयुक्त आवेदक नहीं पाया गया. इसको देखते हुए एक नया विज्ञापन प्रकाशित किया जायेगा. रवींद्र भारती के अध्यक्ष अब कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शुभ्र कमल मुखोपाध्याय हैं, जिन्हें पिछले साल जुलाई में कथित तौर पर राज्य सरकार से परामर्श किये बिना राज्य सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों के पदेन चांसलर यानि कि राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया था.
वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज में वीसी का पद पिछले साल अगस्त से खाली है, जब चांसलर ने सुहृता पॉल को उन आरोपों के बाद हटा दिया था कि उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित नियमों के उल्लंघन में की गयी थी. उनका चयन कथित तौर पर एक सर्च कमेटी द्वारा किया गया था, जिसमें यूजीसी का कोई प्रतिनिधि नहीं था.
उच्च शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि गत 26 जुलाई के विज्ञापन में यूजीसी नियमों का हवाला देते हुए कहा गया है कि उच्चतम स्तर की योग्यता, निष्ठा, नैतिकता और संस्थागत प्रतिबद्धता रखने वाले व्यक्ति को वीसी नियुक्त किया जाना है. वीसी के रूप में नियुक्त होने वाला व्यक्ति एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् होना चाहिए जिसके पास किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कम से कम दस साल का अनुभव हो या किसी प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान में दस साल का अनुभव के साथ उसके पास एकेडमिक लीडरशिप परफोरमेंस का प्रमाण होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की एक याचिका के बाद वीसी नियुक्ति का मामला उठाया, जिसमें राज्य सरकार से परामर्श किये बिना ‘अधिकृत’ अस्थायी वीसी नियुक्त करने के चांसलर के फैसले को चुनौती दी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में एक आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि पूर्णकालिक कुलपतियों की नियुक्ति करते समय यूजीसी मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है.
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