17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Sonpur Mela 2024: भगवान विष्णु से है सोनपुर मेले का संबंध, जानें गजेंद्र मोक्ष स्थल के बारे में

Sonpur Mela 2024: बिहार के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व में सोनपुर मेले की एक विशेष पहचान है. बिहार के सारण जिले में प्रसिद्ध सोनपुर मेले का आयोजन प्रारंभ हो चुका है. शुंग काल के कई पत्थर और अन्य अवशेष सोनपुर के विभिन्न मठों और मंदिरों में पाए जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान 'गजेंद्र मोक्ष स्थल' के रूप में भी जाना जाता है.

Sonpur Mela 2024:  बिहार और देश का प्रसिद्ध सोनपुर मेला 2024 का उद्घाटन आज 13 नवंबर को होने जा रहा है. इसकी तैयारी के लिए 14 विभिन्न समितियों का गठन किया गया है. सारण के जिलाधिकारी अमन समीर ने बैठक में सभी समितियों से समय पर कार्य पूरा करने का अनुरोध किया.  जिला पदाधिकारी ने बताया कि मेले में सुधार के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं. इस विषय पर आपकी राय और सुझाव महत्वपूर्ण हैं. हम यहां पर आपको बताने जा रहे हैं कि सोनपुर मेला का सांस्कृतिक महत्व के अलावा धार्मिक महत्व भी है.

Budh Pradosh Vrat 2024: कार्तिक माह का अंतिम प्रदोष व्रत आज, नोट कर लें शुभ मुहूर्त और महत्व 

सोनपुर मेले, जिसे ‘हरिहर क्षेत्र मेला’ और ‘छत्तर मेला’ के नाम से भी जाना जाता है, की आरंभिक तिथि के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन इसे उत्तर वैदिक काल से संबंधित माना जाता है. महापंडित राहुल सांकृत्यान ने इसे शुंगकाल का बताया है. शुंगकालीन कई पत्थर और अन्य अवशेष सोनपुर के विभिन्न मठों और मंदिरों में पाए गए हैं.

कब तक चलेगा सोनपुर मेला ?

हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला इस वर्ष 13 नवंबर से 14 दिसंबर तक, अर्थात् 32 दिनों तक आयोजित किया जाएगा.

सोनपुर मेला में क्या वस्तुएं उपलब्ध हैं?

इस मेले की प्रसिद्धि मुख्यतः पशु मेले के रूप में है, लेकिन यहां विभिन्न प्रकार के सामान भी उपलब्ध होते हैं. मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पशुओं की खरीद-फरोख्त के लिए आते हैं, साथ ही विदेशी पर्यटक भी यहां आकर्षित होते हैं. पहले सोनपुर मेले का प्रमुख आकर्षण यहां बिकने वाले हाथियों और घोड़ों की बड़ी संख्या थी.

जानें गजेंद्र मोक्ष स्थल के बारे में

यह स्थल ‘गजेंद्र मोक्ष स्थल’ के नाम से भी जाना जाता है, जो पौराणिक मान्यताओं में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. कहा जाता है कि भगवान के दो भक्त, एक हाथी (गज) और एक मगरमच्छ (ग्राह), धरती पर प्रकट हुए. जब गज कोनहारा घाट पर जल पीने आया, तब ग्राह ने उसे अपने मुंह में पकड़ लिया और दोनों के बीच संघर्ष प्रारंभ हो गया. यह युद्ध कई दिनों तक चलता रहा. जब गज कमजोर होने लगा, तब उसने भगवान विष्णु से सहायता की प्रार्थना की. भगवान विष्णु ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुदर्शन चक्र चलाकर इस युद्ध को समाप्त किया. इस स्थान पर पशुओं के बीच हुए इस युद्ध के कारण यहां पशु खरीदने को शुभ माना जाता है. इसके अलावा, यहां हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहर मंदिर भी स्थित है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों भक्त आते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान राम ने सीता स्वयंवर के समय किया था.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें