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सड़क दुर्घटना में 65 मृतकों को करीब तीन करोड़ का मुआवजा भुगतान का ऑर्डर

सड़क दुर्घटना की मौत के मामलों में मृतक के आश्रित को मुआवजा भुगतान का नियम है.

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सड़क दुर्घटना की मौत के मामलों में मृतक के आश्रित को मुआवजा भुगतान का नियम है. इसमें दो तरह के मामले होते हैं, जिनमें अलग-अलग तरीके से मुआवजा भुगतान होता है. पहला हिट एंड रन इसमें वैसे मामले आते हैं, जिसमें ठोकर मारने वाले वाहन का पता नहीं होता है. ऐसे मामलों में मृतक के आश्रित सीधे डीटीओ ऑफिस में आवेदन करेंगे. जिसमें सत्यापन के बाद मृतक के आश्रित को दो लाख रुपये का मुआवजा मिलता है. वहीं दूसरा मामला नन हिट एंड रन का होता है. इसमें दुर्घटना वाली गाड़ी पकड़ी जाती है व उसका नंबर पता चल जाता है. तो ऐसे मामलों में मुआवजा भुगतान के लिए परिवहन विभाग द्वारा ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है. जहां मामलों की सुनवाई के बाद आश्रित को मुआवजा भुगतान की कार्रवाई होती है. नन हिट एंड रन के तहत अब तक करीब 1300 मामले ट्रिब्यूनल में पहुंचे हैं, जिनमें से करीब 65 मामलों में करीब तीन करोड़ रुपये मुआवजा भुगतान का आदेश पारित हो चुका है. इसमें से कईयों को भुगतान भी हो चुका है. कुछ माह पूर्व ही ट्रिब्यूनल का गठन हुआ है. प्रत्येक प्रमंडलीय जिले में ट्रिब्यूनल बना है, इसके अंतर्गत मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी व शिवहर जिले आते है. अब इन सभी जिलों में कोर्ट से ऐसे मामले ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर होने के बाद केस की संख्या बढ़ गयी है. यहां छह माह से लेकर साल भर के अंदर मामले में सुनवाई करते हुए निष्पादन करना है. ट्रिब्यूनल में एक रिटायर्ड जज के समक्ष मामलों की सुनवाई की जाती है. इन मामलों में पांच लाख रुपये मुआवजा पर दोनों पक्ष सहमति जताने पर उन मामलों को त्वरित निष्पादित किया जाता है. इधर मामले में डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि हिट एंड रन मामलों में तेजी से मुआवजा भुगतान की कार्रवाई की जा रही है. विभाग द्वारा एडीटीओ सह ट्रिब्यूनल सचिव विवेकानंद मिश्रा की प्रतिनियुक्ति की गयी है. इनके देखरेख में तेजी से कार्रवाई की जा रही है. कैसे करेंगे आवेदन आवेदक को एक्सीडेंट क्लेम डॉट बिहार डॉट जीवोभी डॉट इन पर जाना है. दुर्घटना होने के बाद अधिकतम छह माह के भीतर आवेदन करना है. इसमें नॉ हिट एंड रन का ऑप्शन पर क्लिक करना है. दुर्घटना की जगह, मृतक का पता व क्या करते थे, उनका पहचान पत्र, आश्रित के कागजात आदि अपलोड करने है. इसके बाद इंश्योरेंस, एफआइआर, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, गाड़ी व चालक की डिटेल. ट्रिब्यूनल में मामला जाने के बाद अगर मृतक के परिजन सामने वाले से समझौता कर लेते हैं कोई दिक्कत नहीं. ट्रिब्यूनल अधिकतम नौ माह के भीतर सुनवाई करते हुए फैसला करेगी. ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष सुनवाई के बाद मुआवजा की राशि तय करते है जिसका भुगतान इंश्योरेंस कंपनी व गाड़ी मालिक से कराया जाता है.

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