प्रतिनिधि, चक्रधरपुर
कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर (शुक्रवार) को है. शास्त्रों में इस दिन का खास महत्व है. कार्तिक पूर्णिमा पर नदी-सरोबरों में स्नान करने की परंपरा है. कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-पाठ, नदी स्नान और दान-पुण्य शुभ माना गया है. चक्रधरपुर के अधिकतर क्षेत्रों में लोग कार्तिक पूर्णिमा का स्नान शुक्रवार की अहले सुबह करेंगे. स्नान के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर, श्री श्री राधा गोविंद मंदिर पांच मोड़ व शिव मंदिर पुरानीबस्ती श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी. इसके लिए मंदिरों में भी विशेष व्यवस्था की गयी है.तुलसी मंडप में रंगोली बनाकर होगी पूजा
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर स्नान के बाद महिलाएं तुलसी पौधा के सामने रंगोली बनाकर भगवान विष्णु के राय दामोदर स्वरूप की पूजा करेंगे. इसके साथ ही विष्णु पंचुक व्रत का समापन भी होगा. पिछले एक सप्ताह से पंचुक के दौरान व्रती दिन में एक ही बार सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. पंचुक पर खाये जाने वाले भोजन को हविसान्न कहा जाता है. कहा जाता है कि पंचुक पर पुण्य कार्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा में प्रभु जगन्नाथ का दर्शन महत्वपूर्ण माना जाता है.केला के तने से तैयार नाव को नदी में छोड़ेंगे
शहर के ओड़िया समुदाय के लोग शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा मनायेगा. ओड़िया समाज के लोग कार्तिक पूर्णिमा पर ””””””””बोइत बंदाण”””””””” उत्सव के रूप में मनाते हैं. शुक्रवार को सूर्योदय के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में लोग संजय नदी में स्नान कर केला के तने से तैयार किये गये नाव को छोड़ेंगे. कार्तिक पूर्णिमा को लेकर थर्माकोल से बने रंग-बिरंगे नाव भी लोग नदी-सरोबर में छोड़ते हैं.ओड़िया समुदाय के समृद्ध इतिहास को याद दिलाता है ””””””””बोइत बंदाण”””””””” उत्सव : सदानंद होता
सुमिता होता फाउंडेशन के अध्यक्ष सदानंद होता ने बताया कि पहले ओड़िया समुदाय के लोग समुद्री मार्ग से व्यापार करने के लिए देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जाते थे. मान्यता है कि पहले नाव के सहारे ओडिशा के व्यापारी जांवा, सुमात्रा, बोर्नियो व श्रीलंका जैसे कई देशों में कारोबार के लिए जाते थे, बारिश के मौसम में व्यापारिक यात्रा बंद हो जाती थी. कार्तिक पूर्णिमा के दिन फिर से इस यात्रा की शुरुआत की जाती थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है