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सफाई कर्मियों के किट वितरण में घोटाले की आशंका, जांच की मांग

नगर परिषद में फर्जी तरीके से साफ सफाई का टेंडर कर सफाई कर्मियों के साथ नाइंसाफी की जा रही है.

लखीसराय. नगर परिषद में फर्जी तरीके से साफ सफाई का टेंडर कर सफाई कर्मियों के साथ नाइंसाफी की जा रही है. सफाई कर्मियों के ईपीएफ व ईएसआइसी की राशि की इधर से उधर की जा रही है. समाजसेवी नेता संजय प्रजापति ने डीएम समेत मुख्य सचिव बिहार, शहरी आवासन एवं शहरी कार्य नयी दिल्ली श्रम अधीक्षक क्षेत्रीय भविष्य निधि कमिश्नर केंद्रीय भविष्य निधि कमिश्नर महालेखाकार को पत्र लिखकर कहा है कि नगर परिषद लखीसराय के द्वारा कई सफाई एजेंसी को बदल गया लेकिन सफाई कर्मियों को ईपीएफ ईएसआईसी की राशि बैंक खाता का माध्यम से नहीं दिया जा रहा हैं, इससे उक्त राशि का घोटाला का सौ फीसदी चांस है. उन्होंने कहा कि इस बार भी सफाई एजेंसी को फर्जी तरीके से टेंडर दे दिया गया है. उन्होंने कहा कि 6 लाख की अधिक राशि लगाकर 52 लाख में फिर से सीबीएस फैसेलिटीज मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को साफ-सफाई का एजेंसी दिया गया है. पूर्व में प्रताप सेवा संकल्प को विरोध करने पर हटाकर जब स्वयं नगर परिषद साफ सफाई का जिम्मेदारी उठायी थी तो 20 से 40 लाख में शहर की साफ सफाई हो जाती थी एवं शहर में कचरा नहीं दिखाई दे रहा था. वर्तमान में 52 लाख से अधिक की राशि में साफ-सफाई की जा रही है लेकिन शहर में कचरो का ढेर है सीबीएस फैसेलिटीज मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को नगर परिषद किशनगंज सन 2020 में अस्थायी सशक्त कमेटी की बैठक में निर्णय के मुताबिक टेंडर में भाग लेने नहीं दिया, फिर भी नगर परिषद लखीसराय के द्वारा उक्त एजेंसी को साफ सफाई का टेंडर दे दिया गया. उन्होंने सभी सफाई कर्मियों का अटेंडेंट बायोमेट्रिक पद्धति से बनाने की भी मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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