लखीसराय. स्नान दान से पुण्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण कार्तिक पूर्णिमा को लेकर जिले के विभिन्न गंगा घाट पर शुक्रवार को सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी तो किऊल, लखीसराय बड़हिया के साथ साथ छोटे-छोटे स्टेशन पर भी गंगा स्नान करने को लेकर जाने वाले यात्रियों की अच्छी खासी तादाद देखी गयी. ट्रेन के किसी भी तरह के डिब्बे में चढ़कर सफर करना मुश्किल हो गया.
पायदान पर लटक कर यात्रा करने को विवश दिख रहे थे यात्री
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की भीड़ अधिक दिखी. इधर, सुबह से ही गंगा घाट पर उमड़ी भीड़ लगातार बढ़ते चली गयी. जो दोपहर बाद भी जारी रही. गंगा स्नान को लेकर जिले के बड़हिया प्रखंड मुख्यालय कॉलेज गंगा घाट पर सबसे अधिक उमड़ पड़ी थी. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अलग-अलग गंगा घाटों पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी. स्नान दान के लिए यह एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसे कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन लोग गंगा नदी में स्नान करते हैं और ऐसी मान्यता है कि इससे पुण्य की प्राप्ति होती हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिनमें गंगा स्नान, पूजा-अर्चना और दान करना शामिल है. यह त्योहार हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे पूरे भारत में मनाया जाता है, जो इस दिन गंगा स्नान करता है उसे 100 अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर फल मिलता है. इस विशेष दिन पर गंगा स्नान करने और गंगाजल का आचमन करने मात्र से पुण्यकारी फल मिलता है. भगवान शिव, विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदायिनी देवी यानी मां गंगा की पूजा और गंगा स्नान करने से साधक को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
गंगा घाटों में श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान
बड़हिया. धार्मिक माह कार्तिक पूर्णिमा की अहले सुबह से ही हजारों की संख्या में दूर दराज से आये श्रद्धालुओं ने बड़हिया नगर एवं प्रखंड के विभिन्न गंगा घाटों में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान किया. तदुपरांत सिद्ध मंगलापीठ मां बाला त्रिपुरसुंदरी जगदंबा मंदिर बड़हिया में विशेष पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगी. शुक्रवार कार्तिक पूर्णिमा की अहले सुबह बड़हिया में ठहरने वाली अलग-अलग गाड़ियों से श्रद्धालुओं का अलग-अलग जत्था बड़हिया स्टेशन पर उतरकर गंगा स्नान करने बड़हिया कॉलेज घाट पहुंचकर गंगा स्नान किया. हिंदू धर्म में कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने का विशेष महत्व दिया गया है, इसे त्रिपुर पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और दान पुण्य का विशेष महत्व है. इसी दिन सिख संप्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था, इसलिए सिख संप्रदाय के लोग इसे गुरु पर्व के रूप में मनाते हैं. इस दिन को प्रकाशोत्सव भी कहते हैं. भगवान विष्णु का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था. पहले अवतार में विष्णु मत्स्य यानि मछली के रूप में प्रकट हुए थे, विष्णु को यह अवतार वेदों की रक्षा, संसार में प्रलय के अंततक सप्तऋषियों,अनाज और राजा सत्यव्रत की रक्षा के लिए लेना पड़ा था. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक असुर का वध इसी तिथि को किया था. इसके बाद देवगण बेहद प्रसन्न हुए और वे लोग शिवजी को त्रिपुरारी के नाम से पुकारने लगे. इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुर पूर्णिमा भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि शरद ऋतु के आगमन पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने से लोगों के सभी पाप धुल जाते हैं.
जलप्पा स्थान व श्रृंगीऋषि में लगी भक्तों की भीड़
चानन. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जलप्पा स्थान एवं श्रृंगी ऋषि धाम में कार्तिक पूर्णिमा को लेकर हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर पूजा-अर्चना की. इससे पूर्व श्रद्धालुओं ने बाबा श्रृंगी ऋषि धाम के कुंड में स्नान कर विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की. वहीं मां जलप्पा मंदिर में हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की. मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा अपने-अपने बच्चों को मुंडन किया. स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मां जलप्पा मंदिर में मुंडन करने के लिए धनबाद चितरंजन आसनसोल बराकर सहित अन्य राज्यों से यहां आकर अपने परिजन को मुंडन में शामिल हुए जो भी जो भी श्रद्धालु माता के दरबार में सच्चे दिल से मानते मांगते हैं. वह पूर्ण होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है