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2028 तक कवच सिस्टम से लैस होगा दक्षिण पूर्व रेलवे

भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में यात्री सुरक्षा है.

हावड़ा-खड़गपुर-भद्रक और खड़गपुर-टाटानगर-झारसुगुड़ा खंड में कवच का काम जल्द होगा शुरू कोलकाता. भारतीय रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में यात्री सुरक्षा है. ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए स्वदेशी निर्मित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ (ट्रेन टक्कर परिहार प्रणाली) विकसित किया गया है. यह ट्रेन पायलटों को वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करती है, जिससे उच्च गति पर ट्रेनों को चलाना सुरक्षित हो जाता है. यदि लोको पायलट ऐसा करने में विफल रहता है, तो सिस्टम स्वचालित रूप से ब्रेक लगा सकता है और खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद कर सकता है. जहां तक दक्षिण पूर्व रेलवे के कवच की स्थापना का सवाल है, तो दक्षिण पूर्व रेलवे में कवच स्थापना के लिए 1556 किलो मीटर एचयूएन मार्ग पर काम को मंजूरी दी गयी है. हावड़ा- खड़गपुर- भद्रक और खड़गपुर- टाटानगर- झारसुगुड़ा खंड के 688 किलोमीटर में कवच स्थापना के लिए जल्द काम शुरू होगा. हावड़ा-खड़गपुर-भद्रक और खड़गपुर-टाटानगर-झारसुगुड़ा खंड के लिए निविदा जारी हो चुकी है. यह निविदा 25 नवंबर को खुलेगी. सूत्रों की मानें, तो जल्द ही और 515 किलोमीटर कवच निर्माण के लिए निविदा जारी होगी. बताते हैं कि दक्षिण पूर्व रेलवे एरिया में 2028 तक कवच स्टॉलेशन पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इतनी जटिलताओं के बावजूद, भारतीय रेलवे ने कवच की स्थापना को तेजी से पूरा करने की योजना बनायी है. कवच का नवीनतम संस्करण अब तक भारतीय रेलवे द्वारा 1,548 रेल किलोमीटर (आरकेएम) पर स्थापित किया गया है और 3,000 आरकेएम के लिए काम चल रहा है. इसके अलावा 14,735 आरकेएम के लिए बोलियां आमंत्रित की गयी हैं.

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