मेदिनीनगर. श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व के अवसर पर श्री गुरु तेग बहादुर हाल में विशेष दीवान, अरदास और लंगर का कार्यक्रम का आयोजन किया गया. मौके पर प्रथम महापौर अरुणा शंकर ने कहा कि गुरु नानक देव जी का प्रकाश ऐसे समय में हुआ, जब देश में मुगलों का साम्राज्य कायम हो रहा था. उस समय हर तरफ अशांति और आक्रांताओं का भय था. मुगलों की जबरदस्ती धर्म परिवर्तन की नीतियों से धार्मिक स्थान के विध्वंस के कारण हिंदू धर्म और सनातन भय से आक्रांतित था, ऐसे में गुरु नानक देव जी जैसा सच्चा संत प्रकट हुआ, जिसने बाबर को जालिम कहा और दूसरे धर्म पर जुल्म ना करने की हिदायत दी. जिसके चलते बाबर ने उन्हें जेल में बंद कर दिया. हिंदू में आडंबर, रूढ़िवादिता, जात-पात और कर्मकांड की बुराई की भर्त्सना करते हुए एक ऐसे निर्मल पंत की रचना की, जिसे लोग सिख धर्म के नाम से जानते हैं. यह धर्म शुद्ध रूप से सनातन धर्म का अंग है, जो जात-पात, उच्च नीच, अगड़ा-पिछड़ा, गरीब -अमीर, छूआछूत को नहीं मानता और हर व्यक्ति में प्रभु के दर्शन करता है. गुरु साहब ने अपने अनेक धार्मिक यात्राओं में लोगों का कल्याण किया. धार्मिक शिक्षा दी और हिंदू धर्म में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया. मौके पर संस्था के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह राजा, राजेंद्र सिंह बंटी, कुलदीप सिंह, त्रिलोचन सिंह, चरणजीत सिंह सहित कई लोग मौजूद थे.
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