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प्रभु से प्रेम का नाता जोड़ें, होगा जीवन का कल्याण

शहर के साहित्य समाज चौक स्थित तुलसी मानस मंदिर परिसर में आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न परायण पाठ महायज्ञ का 72वां अधिवेशन संपन्न हुआ.

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श्रीरामचरित मानस नवाह्न परायण महायज्ञ का 72वां अधिवेंशन संपन्न

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प्रतिनिधि, मेदिनीनगर

शहर के साहित्य समाज चौक स्थित तुलसी मानस मंदिर परिसर में आयोजित श्रीरामचरित मानस नवाह्न परायण पाठ महायज्ञ का 72वां अधिवेशन संपन्न हुआ. सायंकालीन सत्र में प्रभु श्रीराम की कथा का रसपान कराते हुए उच्च कोटी के विद्वानों ने मर्यादा पुरुषोत्तम के आदर्श जीवन दर्शन को अपनाने की जरूरत बतायी. रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जेबी पांडेय ने कहा कि ईश्वर सर्वव्यापी सत्ता है. वह शाश्वत सुख का आधार है और परमानंद का स्रोत है. जीवन में शाश्वत सुख शांति की प्राप्ति तभी होगी, जब परमात्मा का साक्षात्कार करेंगे. इसके लिए संतों की संगति व वेद शास्त्र के अनुरूप आचरण करना होगा. मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने जो संदेश दिया है, उसे अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है. मध्य प्रदेश के सतना से पधारे मानस वक्ता पंडित आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि ईश्वर दयालु है. उनकी शरण में जो आता है, उसकी रक्षा करते हैं. मानव जीवन की सार्थकता के लिए प्रभु से प्रेम का नाता जोड़ना चाहिए. उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी पुण्य फल व सत्कर्म ही काम आता है. मनुष्य अपने जीवन में जो सत्कर्म व पुण्य का कार्य करता है. उसका प्रतिफल निश्चित रूप से प्राप्त होता है. भले ही वह दिखाई न पड़े, लेकिन किसी न किसी रूप में पुण्य व सत्कर्म का फल उसे अवश्य मिलता है. उन्होंने कहा कि धर्म के अनुरूप आचरण करने से सत्य स्वरूप परमात्मा की प्राप्ति होती है. भगवान अपने भक्तों से गहरा प्रेम करते हैं. इसलिए भक्तों को भी चाहिए कि उनसे किसी न किसी रूप में प्रेम का रिश्ता जोड़ें रखे. परिवार व समाज में शांति स्थापित हो, यही रामराज है. प्रभु की कृपा से ही यह स्थिति आती है. धर्म का प्रभाव जब बढ़ता है और लोग धर्म के अनुरूप आचरण व व्यवहार करते हैं, तो समाज में बेहतर वातावरण तैयार होता है. मानस प्रवक्ता पंडित मृत्युंजय मिश्रा व ओमप्रकाश दुबे ने मानस के कई प्रसंगों की चर्चा करते हुए प्रभु श्रीराम के दिव्य गुणों एवं आदर्शों को धारण करने की जरूरत बतायी. शनिवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हवन हुआ और महायज्ञ की पुर्णाहुति दी गयी. यजमान के रूप में उमाकांत व उनकी पत्नी कमला सिंह पूजा अनुष्ठान में सक्रिय थीं. शाम में राम दरबार की प्रतिमा कोयल नदी में विसर्जित किया गया. मौके पर समिति के अध्यक्ष भरत सिंह, सचिव शिवनाथ अग्रवाल, रविशंकर पांडेय, इंद्रेश्वर उपाध्याय, पंडित संतोष पाठक, अंजनी पाठक, विक्रमा पांडेय सहित कई लोग मौजूद थे.

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