रांची. राजधानी की ट्रै्फिक व्यवस्था ई-रिक्शा चालकों के कारण फिर बिगड़ गयी है. ट्रैफिक व्यवस्था को ध्वस्त करने में पहले ऑटो चालकों की अहम भूमिका मानी जाती थी, लेकिन अब ऑटो चालकों से भी दो कदम आगे शहर के ई-रिक्शा चालक निकल गये हैं. ये चौक चौराहों पर ही नियम का उल्लंघन कर घंटों-घंटों खड़े रहकर पैसेंजर बैठाते हैं. इससे रह-रहकर जाम लगता रहता है. इन ई-रिक्शा पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी जिस ट्रैफिक पुलिस और नगर निगम पर है, वह भी कार्रवाई के नाम पर महज दिखावा करता है.
चौक-चौराहों को बनाया नरक
जिस ई-रिक्शा को शहरवाले प्रदूषण मुक्त वाहन मान रहे थे, वह इन दिनों शहरवासियों के लिए जी का जंजाल बनकर रह गया है. काफी कम लागत होने से आज हर कोई इसकी खरीदारी कर सीधे सड़क पर उतर जा रहा है. नतीजा दिन प्रतिदिन इसकी संख्या बढ़ती ही जा रही है. कोई नियम नहीं होने से जिसे जहां मन कर रहा है, वह अपना ई-रिक्शा दौड़ा रहा है.
तीन साल से रूट पास नहीं हुआ जारी
राजधानी में दिन प्रतिदिन बढ़ती ई-रिक्शा की संख्या परेशानी का सबब बन गयी है. इसके लिए वर्ष 2017 में नगर निगम ने रूट पास सिस्टम लागू किया था. इसके तहत हर ई-रिक्शा को चलने के लिए रूट चिह्नित कर दिया गया था. इसमें यह शर्त थी कि अगर कोई ई-रिक्शा निर्धारित रूट को छोड़कर किसी दूसरे रूट में चलता है , तो ऐसे ई-रिक्शा पर 25 हजार रुपये जुर्माना लगेगा. लेकिन कोरोना के आने के बाद रूट पास सिस्टम बंद हो गया. आज हालत यह है कि जिसे जिस रूट में ई-रिक्शा चलाने का मन कर रहा है, वह चला रहा है. किसी पर जुर्माना नहीं किया जा रहा है.
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