Jharkhand News : चांडिल के घोड़ानेगा- तेरेडीह निवासी संजय टुडू संजय टुडू द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री “मैन, मेलोडी एंड डॉल्स” को 30वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के शॉर्ट और डॉक्यूमेंट्री फिल्मों की नेशनल कंपीटिशन श्रेणी में आधिकारिक रूप से चयनित कर किया गया है. यह महोत्सव 4 से 11 दिसंबर 2024 तक कोलकाता में आयोजित किया जाएगा. यह डॉक्यूमेंट्री संताली समाज की प्राचीन कठपुतली कला चादर-बदौनी पर आधारित है. यह फिल्म एक प्रमुख कलाकार डोमन मुर्मू के जीवन की झलक पेश करती है, जिन्होंने इस कला को संरक्षित और जीवित रखने में अहम भूमिका निभाई है. साथ ही, यह फिल्म संताली समाज की सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को बड़े ही संवेदनशील तरीके से दर्शाती है. फिल्म का शोध संजय टुडू और बाजोलकिस्कू ने किया है, छायांकन रवि राज मुर्मू द्वारा किया गया है और सुरेश बगली ने इसका साउंड डिजाइन किया है. इस उपलब्धि ने न केवल निर्देशक और उनकी टीम को गर्वित किया है, बल्कि संताली समाज की सांस्कृतिक धरोहर को एक वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर भी प्रदान किया है.
संताल समाज की कठपुतली कला पर आधारित है फिल्म
“मैन, मेलोडी एंड डॉल्स”संताल समाज की प्राचीन कठपुतली कला चादर-बदौनी पर आधारित है. यह कला केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि इसमें जीवन की कहानियों, परंपराओं और लोकगीतों का जीवंत चित्रण होता है. यह फिल्म विशेष रूप से डोमन मुर्मू के जीवन और उनके योगदान को उजागर करती है. डोमन मुर्मू ने इस लगभग विलुप्त होती कला को पुनर्जीवित करने के लिए अथक प्रयास किये हैं. उनके दृढ़ संकल्प और कला के प्रति प्रेम ने इस परंपरा को न केवल जीवित रखा है, बल्कि इसे नई पीढ़ियों तक पहुंचाने में भी मदद की है.
फिल्म निर्माण में एक समर्पित टीम का है प्रयास
इस डॉक्यूमेंट्री के पीछे एक बेहद प्रतिभाशाली टीम का योगदान है. फिल्म का शोध कार्य संजय टुडू और बाजोलकिस्कू ने किया, जो संताली समाज की गहराई से समझ और उसमें निहित सांस्कृतिक परतों को उजागर करता है. छायांकन रवि राज मुर्मू ने किया, जिनकी कैमरे की नजर ने इस कला के सूक्ष्म पहलुओं को खूबसूरती से कैद किया है. वहीं, सुरेश बगली ने साउंड डिजाइन में अपनी कुशलता का परिचय दिया, जिससे फिल्म को एक प्रभावशाली ध्वनि-प्रस्तुति मिली है.
सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगी वैश्विक पहचान: संजय टुडू
निर्देशक संजय टुडू ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि यह फिल्म हमारी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का एक प्रयास है. इतने प्रतिष्ठित मंच पर इस फिल्म को प्रदर्शित होने का अवसर मिलना मेरे लिए गर्व की बात है. मैं अपनी पूरी टीम और कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल कमेटी का धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इस कला को वैश्विक मंच तक पहुंचाने का रास्ता बनाया. उन्होंने बताया कि “मैन, मेलोडी एंड डॉल्स” केवल एक फिल्म नहीं है, यह संताली समाज की प्राचीन धरोहर का सम्मान है. यह डॉक्यूमेंट्री लोककला की गहराई और इसके सामाजिक महत्व को बड़े ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत करती है. यह न केवल दर्शकों को एक प्राचीन कला से जोड़ती है, बल्कि उन्हें इस विरासत को संरक्षित करने की प्रेरणा भी देती है.
संताली समाज की आवाज भी है यह डॉक्यूमेंट्री फिल्म
संजय टुडू और उनकी टीम की मेहनत से बनी यह डॉक्यूमेंट्री केवल एक फिल्म नहीं है, बल्कि यह संताली समाज की आवाज है. यह फिल्म न केवल चादर-बदौनी जैसी विलुप्त होती कला को संरक्षित करने का प्रयास करती है, बल्कि समाज और परंपरा के प्रति एक नई चेतना भी जगाती है. कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इसका चयन इस बात का प्रमाण है कि कला की शक्ति सीमाओं से परे है. यह फिल्म संताली समाज और उनकी कला को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.