सीतामढ़ी. शिक्षा विभाग के उस आदेश पर अधिकांश प्रधान शिक्षक अमल नहीं कर रहे है, जिसमें मध्याह्न भोजन योजना का आंकड़ा ई-शिक्षा कोश नामक एप पर डालना था. विभाग के बार-बार और सख्त निर्देश के बावजूद कतिपय कारणों से एमडीएम का आंकड़ा ऑनलाइन अपलोड करने से प्रधान शिक्षक हिचक रहे हैं. इस कार्य में लापरवाही बरतने के चलते बच्चों को जहां एमडीएम के लाभ से वंचित होने की नौबत आ सकती है. वहीं, दूसरे संबंधित प्रधान शिक्षक भी कार्रवाई के भागीदार बन सकते हैं.
— 1935 स्कूलों में एमडीएम चालू
गौरतलब है कि प्राथमिक, मध्य, बुनियादी व संस्कृत समेत मदरसा व सहायता प्राप्त स्कूलों में एमडीएम का संचालन होता है. जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या 2220 है, जिसमें से फिलहाल 1935 में ही एमडीएम चालू है. जिला एमडीएम कार्यालय से मिली रिपोर्ट के अनुसार, 16 नवंबर 24 को मात्र 418 स्कूलों के ही प्रधान शिक्षक उक्त ऐप पर एमडीएम का आंकड़ा अपलोड कर सके. यानी उक्त स्कूलों में नामांकित एक लाख 16 हजार 264 बच्चों में से 65444 बच्चों को एमडीएम का लाभ मिला. मात्र 30 फीसदी प्रधान शिक्षक ही एमडीएम का आंकड़ा अपलोड कर सके हैं.
— एमडीएम निदेशक काफी गंभीर
एमडीएम का आंकड़ा अपलोड नहीं करने वाले प्रधान शिक्षकों के प्रति एमडीएम निदेशक मिथिलेश मिश्र ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने एमडीएम डीपीओ के साथ ही डीइओ को पत्र भेज कहा है कि ई शिक्षा कोश के माध्यम से स्कूलों में मौजूद शिक्षक व बच्चों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है, लेकिन एमडीएम से लाभांवित बच्चों की संख्या का जिक्र नहीं किया जा रहा है. निदेशक श्री मिश्र ने प्रतिदिन एमडीएम का भी आंकड़ा दर्ज कराने एवं ऐसा नहीं करने वाले प्रधान शिक्षकों को चिन्हित कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उक्त निर्देश के आलोक में डीपीओ ने जारी पत्र में प्रधान शिक्षकों से कहा है कि ऐप पर एमडीएम से लाभांवित बच्चों की संख्या दर्ज करने वाले स्कूलों की संख्या नगण्य है. इसमें लापरवाही बरतने वाले प्रधान के खिलाफ प्रतिकूल आदेश पारित किया जायेगा.
— कहते हैं अधिकारी
30 फीसदी प्रधान शिक्षक ही एमडीएम का आंकड़ा ऐप पर दर्ज हर रहे हैं. 70 फीसदी रुची नहीं दिखा रहे हैं, जो गंभीर बात है. किसी प्रधान शिक्षक को कोई दिक्कत हो, तो बीआरपी/बीइओ से संपर्क कर सकते हैं. आंकड़ा दर्ज नहीं करने वाले स्कूलों को एमडीएम की राशि रोक दी जायेगी.
— आयुष कुमार, डीपीओ, एमडीएम
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