खरसावां
कुचाई प्रखंड के जुगीडीह मौजा में रविवार को पांचवां वनाधिकार स्थापना दिवस मनाया गया. मौके पर ग्राम पाहन महेन्द्र ने वन देवता की पूजा की. कार्यक्रम में विधायक दशरथ गागराई ने कहा कि जल, जंगल व जमीन से आदिवासियों का अस्तित्व जुड़ा है. जंगल मानव जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. स्वच्छ हवा तथा जलवायु परिवर्तन का संतुलन बनाये रखने के लिये जंगल बचाना होगा. उन्होंने जलवायु परिवर्तन को संतुलित बनाये रखने, जैव विविधता व विरासत में मिली सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने पर बल दिया. कहा कि वनों की सुरक्षा करनी होगी, क्योंकि वनों से ही हमारा अस्तित्व जुड़ा है.ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निजात पाने के लिये जंगल बचाना होगा : सोहनलाल
सामुदायिक वन पालन संस्थान के सोहन लाल कुम्हार ने कहा कि दुनिया भर में जंगलों का ह्रास होने के साथ ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गयी है. हमें जंगलों के घनत्व को बढ़ाना होगा. जंगलों के विनाश के कारण आज काफी तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है. इसका मानव जीव पर गहरा असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि जंगलों के संरक्षण, संवर्धन और प्रबंधन में सभी ग्राम के सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समितियों को ध्यान देना है. उन्होंने कहा कि आज हमें संकल्प लेने की जरूरत है कि न पेड़ काटेंगे और न ही किसी को काटने देंगे.जंगल से ही मानव जीवन है, इसकी रक्षा करें : भरत मुंडा
भरत सिंह मुंडा ने कहा कि जंगल है तो जीवन है. जंगल है तो हम स्वस्थ हैं. जंगल व जैव विविधताओं की रक्षा के लिये ग्राम सभा को आगे आकर कार्य करना होगा. सुखराम मुंडा ने कहा कि जंगल आदिवासियों व मूलवासियों के लिए मंदिर तथा औषधालय है, जो हमें स्वस्थ जीवन प्रदान करता है. टेने मुंडारी ने कहा कि जंगल जीविका के स्त्रोत हैं. कार्यक्रम में ग्रामसभा अध्यक्ष गणेश भूमिज, रामकृष्ण मुंडारी, सुखराम मुंडा, भरत सिंह मुण्डा, वनवासी लाल सोय, कैराना जामुदा, अशोक मानकी, तिलोपदा मुखिया राम सोय, राजेश भूमिज, रुहिदाश भूमिज, मनोज मुदुइया, बोध सिंह, लखीराम चित्रकला, मुना सोय, राहुल सोय, गौरांग चित्रकला, मंगल सिंह भूमिज आदि उपस्थित थे. मौके पर पारंपरिक नृत्य भी पेश किया गया.वर्ष 2020 में मिला था 163.18 एकड़ वन भूमि पर सामुदायिक वनाधिकार का प्रमाण पत्र
ग्रामसभा को सरकार ने वनाधिकार कानून 2006 के तहत वर्ष 2020 को कुल 163 एकड़ 18 डिसमिल वनभूमि पर सामुदायिक वन संसाधनों के संरक्षण, संवर्धन, उपयोग और प्रबंधन करने का सामुदायिक वनाधिकार प्रमाण पत्र निर्गत किया था. ग्रामसभा की ओर से सामुदायिक वन संसाधनों का संरक्षण, संवर्धन, उपयोग और प्रबंधन किया जा रहा है. पहले इस ग्राम सीमा के भीतर टांड़ जंगल था, जिसमें पेड़ व अन्य किस्मों के पौधे भी नहीं थे, लेकिन अब ग्रामसभा के प्रयास से जंगल का घनत्व बढ़ा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है