मधुपुर. शहर के भेड़वा नावाडीह स्थित राहुल अध्ययन केंद्र में सोमवार को क्रांतिकारी व स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त की जयंती पर उन्हें याद किया गया. इस अवसर पर लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. साहित्यकार धनंजय प्रसाद ने कहा कि बटुकेश्वर दत्त एक सच्चे देशभक्त थे. उन्होंने देश आजादी के लिए 15 साल जेल के सलाखों के बीच कठिन यातनाओं में गुजारे. साथ ही आजादी के बाद भी उन्हें दंश, पीड़ा व मुफलिसी झेलनी पड़ी. वो भगतसिंह जैसे क्रांतिकारियों के साथी थे और सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने में उनकी अहम भूमिका रही थी. उनके सभी साथियों को फांसी की सजा हुई और उन्हें काला पानी की सजा देकर अंडमान जेल भेज दिया गया, जहां वे यातनाएं सहते रहे. आजादी के बाद जब वो जेल से मुक्त किये गये तो जीवन जीने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था. मुफलिसी में जीवन बीता और इलाज के अभाव में उनकी जीवन का अंत हो गया. ऐसे देशभक्त को देश की जनता व व्यवस्था से वो सम्मान नहीं मिला, जिसके वो हकदार थे. दुर्भाग्य है कि देश के लिए मर मिटने वाले उपेक्षित रहते है व लूटने वाले को सम्मानित किया जाता है. ऐसे देशभक्त क्रांतिकारी की जयंती पर उन्हें याद करना लाजिमी है. अन्य लोगों ने भी आपने विचार व्यक्त किया.
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