कटिहार. जिले में संभावित फाइलेरिया ग्रसित मरीजों की पहचान करने के लिए जिले के सभी प्रखंडों और शहरी क्षेत्रों में सोमवार से नाइट बल्ड सर्वे की शुरुआत की गयी. आगामी 27 नवंबर तक नाइट ब्लड सर्वे चलाया जायेगा. इस दौरान सभी प्रखंड के चिन्हित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा रात आठ बजे से 12 बजे तक जांच कैम्प का आयोजन कर क्षेत्र के 20 वर्ष से अधिक उम्र के सामान्य लोगों की कुछ बूंद ब्लड सैंपल इकट्ठा किया जायेगा. सभी ब्लड सैंपल को प्रखंड स्तर पर माइक्रोस्कोप से जांच करते हुए संबंधित व्यक्ति के शरीर में मिक्रोफाइलेरिया होने की पहचान की जायेगी. इसके लिए सभी प्रखंड के लैब टेक्नीशियन को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच), पूर्णिया में विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्ट द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण में सभी लैब टेक्नीशियन को नाईट ब्लड सर्वे के दौरान लोगों के ब्लड सैंपल लेते हुए उसमें उपस्थित माइक्रो फाइलेरिया की पहचान करने की आवश्यक जानकारी दी गई है. नाईट ब्लड सर्वे में जांच कराने पर लोगों के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होते ही संबंधित व्यक्ति को आवश्यक इलाज सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. इससे संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकेंगे. सभी प्रखंडों के दो चिह्नित क्षेत्रों में लगेगा जांच कैंप जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जेपी सिंह ने बताया कि फाइलेरिया के संभावित मरीजों की पहचान के लिए जिले के सभी प्रखंडों के दो चिन्हित क्षेत्रों में 18 नवंबर से 27 नवंबर तक नाईट ब्लड सर्वे का आयोजन किया जायेगा. इसके लिए सभी प्रखंड दो क्षेत्र चिन्हित किये गए हैं. इसमें एक सेंटिनल क्षेत्र है. जहां पहले से ही फाइलेरिया के मरीज उपलब्ध हैं. जबकि दूसरा रेंडम क्षेत्र है. जहां फाइलेरिया ग्रसित मरीज होने की संभावना है., सभी क्षेत्रों से कम से कम 300 लोगों के ब्लड सेम्पल इकट्ठा किये जायेंगे. सभी ब्लड सेम्पल की प्रखंड अस्पताल में जांच करते हुए लोगों के शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया की पहचान की जाएगी, माइक्रो फाइलेरिया की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जायेगी. उन्होंने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया की पहचान रात में ही हो सकता है. क्योंकि रात में ही किसी व्यक्ति का शरीर आराम की अवस्था में रहता है. ऐसे समय में ही शरीर में उपलब्ध माइक्रो फाइलेरिया खून में एक्टिव अवस्था में होते हैं. इस समय जांच करने से उनमें शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है. जिसे मेडिकल सहायता प्रदान करते हुए सुरक्षित किया जा सकता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को डब्लूएचओ, पिरामल फाउंडेशन स्वास्थ्य और सीफार द्वारा आवश्यक सहयोग उपलब्ध कराई जा रही है.
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