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Ghatshila News : बांग्ला भाषा, संस्कृति व परंपरा का रक्षक ‘बांग्ला जात्रा’

गालूडीह-घाटशिला क्षेत्र में अंग्रेजी शासन काल से है बांग्ला जात्रा की परंपरा, गालूडीह, पायरागुडी, जोड़सा, हेंदलजुड़ी, बड़ाजुड़ी, काड़ाडूबा, काशिदा के कलाकार करते हैं मंचन

मो.परवेज, घाटशिला

घाटशिला व गालूडीह के ग्रामीण अंचल में अंग्रेजी (ब्रिटिश) शासन काल से बांग्ला जात्रा (नाटक) की परंपरा चल रही है. नयी पीढ़ी इसे आगे बढ़ा रही है. बांग्ला भाषा के प्रेमियों का मानना है कि बांग्ला जात्रा से भाषा का अस्तित्व बचा है. बांग्ला संस्कृति, भाषा और परंपरा अक्षुण्ण है. बंग भाषी कहते हैं कि बांग्ला माध्यम के स्कूलों के बंद होने से बांग्ला की पढ़ाई बंद हो गयी. ज्यादातर बंगाली बच्चे अपनी मातृ भाषा को नहीं जानते हैं.

1975 से सौरेंद्र मोहन चटर्जी जात्रा का निर्देशन करते थे

1975 से गालूडीह निवासी डॉ सौरेंद्र मोहन चटर्जी बांग्ला यात्रा का निर्देशन करते रहे. वे पहले अभिनय किया करते थे. उम्र अधिक होने पर निर्देशन करने लगे. उनका मानना था कि राम कृष्ण परमहंस देव ने कहा था कि बांग्ला जात्रा लोक शिक्षा देती है. अंतिम समय में उन्होंने निर्देशन छोड़ दिया था. विगत कुछ वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया. अब उनके पुत्र डॉ अमित चटर्जी बांग्ला यात्रा में बखूबी अभिनय करते हैं.

पहली जात्रा थी ‘नोटी विनोदनी’

बांग्ला जात्रा से जुड़े लोक कलाकारों का मानना है कि बांग्ला जात्रा के माध्यम से डायन प्रथा, बाल विवाह, सामाजिक कुरीतियां के प्रति समाज को जागरूक किया जाता है. नाट्य कंपनी की पहली जात्रा ‘नोटी विनोदनी’ थी, इसके बाद से जात्रा का प्रचलन तेजी से बढ़ा.

कालिका नाट्य ओपेरा ने परंपरा को आगे बढ़ाया

जोड़सा में कालिका नाट्य ओपेरा गठित कर बांग्ला जात्रा की परंपरा को आगे बढ़ाया गया. इस ओपेरा से तारापद शर्मा, प्रभाकर महतो, ओंकार शर्मा आदि जुड़े थे. सभी का निधन हो चुका है. इस टीम में भोलानाथ महतो, नीलकांत समेत अन्य कलाकार जुड़े थे. गालूडीह के डॉ अमित चटर्जी, पुष्पल मांझी, अशोक सरकार वर्तमान में बांग्ला यात्रा की परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं. शिव शक्ति नाट्य संस्था की ओर से बांग्ला जात्रा काली पूजा से लेकर लक्ष्मी पूजा तक की जाती है.

ग्रामीण क्षेत्र के कलाकार बने हैं पिलर

गालूडीह के युवाओं ने शिव शक्ति नाट्य संस्था के नाम से यात्रा कमेटी बनायी है. इसके अध्यक्ष डॉ अमित चटर्जी हैं. ग्रामीण लोक कलाकारों में पुष्पल मांझी, सुदीप दत्ता, जयदीप दत्ता, शंकर सीट, मो युनूस अली, चित्तरंजन हलघर, सुब्रत दत्ता, रसराज भकत, श्याम सुंदर गोप, महेश्वर दत्ता, विभाष गिरी, विश्व मोहन चटर्जी, मलय चटर्जी, अनूप चटर्जी, मोनी कर, राजाराम गोप, बापी गोराई आदि बांग्ला जात्रा की परंपरा आगे बढ़ा रहे हैं.

वहीं, मां भवानी ओपेरा के अध्यक्ष अशोक सरकार, सचिव महेश्वर दत्त, कुमार सुजीत, महेश कुमार, अनूप चटर्जी, मलई चटर्जी, पंचानन गिरि, प्रदीप माझी,नंदू रजक, जयदीप दत्ता, प्रवोध महतो, शंकर सीट आदि जुड़े हैं. वहीं पायरागुड़ी में हरी गोरी ओपेरा गठित कर बासंती प्रसाद सिंह बांग्ला जात्रा को जीवित रखे हैं.

‘वृद्धा आश्रमे कादछे मां- बाबा’ का मंचन 21 को

मां भवानी ओपेरा की ओर से गालूडीह आंचलिक मैदान में 21 नवंबर की शाम सात बजे से बांग्ला जात्रा ‘वृद्धा आश्रमे कादछे मां-बाबा’ का सफल मंचन किया जायेगा. इसकी जानकारी मां भवानी ओपेरा के अध्यक्ष अशोक सरकार ने दी. इस बांग्ला जात्रा में स्थानीय लोक कलाकार अशोक सरकार, महेश्वर दत्त, कुमार सुजीत, महेश कुमार, अनूप चटर्जी, मलई चटर्जी, पंचानन गिरि, प्रदीप माझी, नंदू रजक, जयदीप दत्ता, प्रवोध महतो, शंकर सीट आदि अभिनय करेंगे.

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