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Ghatshila News : सबरों के पास न अलाव है न कंबल, मुश्किल से कट रहीं सर्द रातें

घाटशिला के सबर गांव व बस्तियों में अबतक नहीं बंटा सरकारी कंबल, ठिठुरते हुए रात गुजारने को विवश, तन पर ठीक से कपड़े तक नहीं

गालूडीह. घाटशिला व आसपास के क्षेत्र में पारा धीरे-धीरे नीचे जा रहा है. सुबह व रात में ठंड की अहसास हो रही है. वहीं, घाटशिला प्रखंड के सबर बहुल गांवों में विलुप्त होती आदिम जनजाति की जिंदगी ठंड में ठिठुर रही है. सबर बहुल गांवों में न अलाव की व्यवस्था है, न कंबल मिला है. सबरों के तन पर ढंग के कपड़े तक नहीं हैं. ऐसे में सर्द रातें मुश्किल से कट रही हैं. कोई देखने वाला नहीं है. अभी आचार संहिता लगा है. नेता और प्रशासन वोट में मस्त हैं. 23 नवंबर को मतों की गिनती के बाद आचार संहिता हटेगा. पंचायत और प्रखंड में अभी सरकारी कंबल नहीं आया है. सब काम चुनाव के कारण फंसा है. ऐसे समय पर सबरों को समाजसेवी का आसरा है.

जंगल के भरोसे चल रही सबरों की जिंदगी

घाटशिला प्रखंड के दारीसाई, घुटिया, केशरपुर, हलुदबनी, बासाडेरा समेत अन्य गांवों में सबर रहते हैं. सबर समाज के लोग सुबह उठकर जंगल जाते हैं. शाम को जंगल से लकड़ी, पत्ता, दतवन लेकर लौटते हैं. यही उनकी दिनचर्या है. शाम में जंगल से लायी गयी कुछ लकड़ियां जलाकर अलाव तापते हैं. रात में घर पर रखे फटे-पुराने कंबल ओढ़कर ठिठुरते हैं. अधिकतर सबर व बच्चों के तन पर वस्त्र तक नहीं हैं. ऐसे में सर्द रातें बहुत मुश्किल से कटती हैं.

सरकारी कंबल का इंतजार कर रहे सबर

गर्मी और बरसात में जितनी परेशानी नहीं होती है, उससे अधिक ठंड में होती है. हर सबर बस्ती में कमोबेश ऐसी स्थिति है. सबर सरकारी कंबल का इंतजार कर रहे हैं. कई सबर पंचायत में जाकर कंबल मांगने लगे हैं. उन्हें बताया जा रहा अभी चुनाव का समय है. कंबल नहीं आया है. निराश होकर सबर पंचायत से लौट जा रहे हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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