22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

West Bengal : सर्पदंश की नयी दवा ने जगायी उम्मीद ,मौतों पर लगेगा अंकुश

West Bengal : चिकित्सकों ने बताया कि देश में सर्पदंश से हर साल 64 हजार लोगों की मौत हो जाती है. अकेले पश्चिम बंगाल में ही हर महीने 400-500 मौतें होती हैं.

West Bengal, शिव कुमार राउत : कोबरा (नाग) जैसे किसी जहरीले सांप के डंसने पर पीड़ित की मौत लगभग तय मानी जाती है. कारण, सर्पदंश के बाद पीड़ित को 100 मिनट यानी एक घंटा 40 मिनट के भीतर एंटीवेनम वैक्सीन लगवाना जरूरी है. सर्पदंश के बाद पहले 100 मिनट को गोल्डन आवर कहा जाता है. मेडिकल भाषा में इसे रूल ऑफ 100 कहा जाता है. अगर गोल्डन आवर में इलाज नहीं किया जाये तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है. पश्चिम बंगाल में सर्पदंश से सबसे अधिक मौतें दक्षिण 24 परगना के सुंदरवन और अन्य ग्रामीण इलाकों में होती हैं.

सांप के डंसने के बाद गोल्डन आवर को बढ़ायेगी दवा

चिकित्सकों के अनुसार, सुंदरवन में आये दिन सर्पदंश से लोगों की मौत हो जाती है. वहीं, ऐसे सुदूर इलाके में अगर किसी व्यक्ति को सांप डंस ले तो ज्यादातर मामलों में अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो जाती है. क्योंकि, मरीज गोल्डन आवर में अस्पताल नहीं पहुंच पाता. पर, अब सर्पदंश से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए एक नयी दवा की खोज की गयी है. इस नयी दवा का नाम ‘वेरेसप्लाडिब मिथाइल टैबलेट’ है. इस दवा की खोज से उम्मीद जगी है. बताया जा रहा है कि अगर सभी मानकों पर दवा खड़ी उतरती है तो सर्पदंश से होने वाली मौतों पर अंकुश लगेगा.

नेशनल मेडिकल कॉलेज में हुई है सफल ट्रायल

गौरतलब है कि यहां पार्क सर्कस स्थित कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में इस टैबलेट का सफल ट्रायल हो चुका है. अब नीलरतन सरकार (एनआरएस) मेडिकल कॉलेज में ट्रायल शुरू हुआ है. यह जानकारी कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में ट्रायल के मुख्य निरीक्षक और मेडिसिन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने दी. उन्होंने बताया कि सबसे बड़ी बात यह है कि यह गोली सर्पदंश के बाद गोल्डन आवर को एक घंटा 40 मिनट से बढ़ा कर पांच घंटा कर देता है. जिसके कारण मरीज की हालत गंभीर नहीं होगी और इलाज के लिए चिकित्सक को समय मिल जायेगा. प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने बताया कि यह एक वैश्विक परीक्षण है जो पिछले पांच साल से भारत और अमेरिका में चल रहा है. ट्रायल अपने अंतिम चरण में है.

नेशनल मेडिकल कॉलेज में 13 रोगियों पर हुआ सफल ट्रायल

कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में सर्पदंश के 13 रोगियों पर वेरेसप्लाडिब मिथाइल टैबलेट का सफलतापूर्वक ट्रालय किया गया है. क्लिनिकल ट्रायल विशेषज्ञ डॉ स्नेहेंदु कोनार ने बताया कि परीक्षण में मुख्य रूप से रसेल वाइपर (दबौया सांप) या मून बीटल (चंद्र भृंग) जैसे जहरीले कीट द्वारा काटे गये पीड़ितों को ओरल टैबलेट वेरेसप्लाडिब मिथाइल खिलाया गया था. इस टैबलेट के इस्तेमाल से गोल्डन आवर बढ़ गया था. जिससे इलाज के लिए डॉक्टरों को अधिक समय मिला. साथ ही मरीज की हालत भी गंभीर नहीं हुई. सभी बचा लिए गये. आम तौर पर रसेल वाइपर या नाग के काटने पर मरीज की मौत हो जाती है.

Also Read : Mamata Banerjee : मंदारमणि होटल तोड़ने के आदेश पर सीएम का बड़ा ऐलान कहा,’नहीं चलेगा बुलडोजर ‘

वेरेस्पलाडिब मिथाइल टैबलेट को रखा जा सकता है घर के तापमान में


डॉक्टरों ने बताया कि एंटी स्नेक वेनम यानी एंटीवेनम इंजेक्शन को घर में रखाना संभव है. इसे रेफ्रिजरेटर में रखना पड़ता है. राज्य के सुदूर इलाकों में कई ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं, जहां रेफ्रिजरेटर नहीं हैं. ऐसे स्वास्थ्य केंद्रों में इसे रखना संभव नहीं है. इसलिए सर्पदंश के बाद मरीज को जिला या अनुमंडल स्तर के अस्पतालों में जाना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों से उक्त अस्पतालों तक पहुंचने में कई घंटे लग जाते हैं, जिससे अधिकांश मरीजों की रास्ते में ही मौत हो जाती है. पर वेरेसप्लाडिब मिथाइल को रेफ्रिजरेटर में रखने की जरूरत नहीं. इसे घर के तापमान पर स्टोर किया जा सकता है. जिससे आसानी से इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में रखा जा सकेगा. जिससे सर्पदंश वाले मरीजों की प्राथमिक चिकित्सा ग्रामीण या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही हो जायेगी. इसके बाद आगे की चिकित्सा के लिए पीड़ित व्यक्ति को दूसरे बड़े सरकारी अस्पतालों में आराम ले जाया जा सकता है.

Also Read : Bengal Crime News : न्यूटाउन में त्रिपुरा के राज्य सहकारी बैंक के सर्वर पर साइबर अटैक, डेटा चोरी

ऐसे काम करेगी दवा


प्रो डॉ पार्थ प्रतीम मुखोपाध्याय ने बताया कि कोबरा जैसे जहरीले सांपों के काटने के बाद उसका जहर शरीर में रक्त या लसीका के माध्यम से फैल जाता है. परिणामस्वरूप रक्त जमने लगता है. पर अगर सर्पदंश के उक्त ओरल मेडिसिन मरीज को दिया जाये तो यह खून को जल्दी जमने नहीं देगा. परिणामस्वरूप, जहर पूरे शरीर में तेजी से नहीं फैलेगा. डॉ मुखोपाध्याय ने बताया कि सुंदरवन के एक सुदूर गांव में रहने वाले लोगों को अस्पताल तक पहुंचे में दो से तीन नदियों को पार करना पड़ता है. ऐसे में रास्ते में ही मरीज की मौत हो जाती है. यह नयी ओरल टैबलेट ऐसे सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए उपयोगी होगी. उन्होंने बताया कि इस टैबलेट का इंजेक्शन भी तैयार किया जा रहा है. फिलहाल सुंदरवन में 19 लोगों को इंजेक्शन लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इंजेक्शन टैबलेट की तुलना में बहुत तेजी से काम करता है. ऐसे में अगर ओरल दवा की ट्रायल पूरी तरह से सफल रहती है और इसकी प्रभावकारिता सिद्ध हो जाती है, तो इसे इंजेक्शन के रूप में बाजार में लाने का प्रयास किया जायेगा.

Also Read : Bengal Crime News : न्यूटाउन में त्रिपुरा के राज्य सहकारी बैंक के सर्वर पर साइबर अटैक, डेटा चोरी

पश्चिम बंगाल में हर महीने सर्पदंश से 400-500 मौतें

चिकित्सकों ने बताया कि देश में सर्पदंश से हर साल 64 हजार लोगों की मौत हो जाती है. अकेले पश्चिम बंगाल में ही हर महीने 400-500 मौतें होती हैं. राज्य में पश्चिम मेदिनीपुर, पूर्व मेदिनीपुर, दक्षिण 24 परगना, हुगली, हावड़ा जिले में सर्पदंश की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं. आम तौर पर अप्रैल से अक्तूबर के बीच पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों के लगभग सभी अस्पतालों में सर्पदंश के मरीज आते हैं. एक अस्पताल में तो एक महीने में कम से कम 50 मरीज भर्ती होते हैं. अस्पताल देर से पहुंचने के कारण इनमें से कई की मौत भी हो जाती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें