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प्रतापपुर महादलित बस्ती में नल जल योजना बंद, चापाकल भी खराब

प्रखंड क्षेत्र की अकोल्ही पंचायत अंतर्गत प्रतापपुर महादलित बस्ती में पिछले तीन वर्षों से पीने के पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है, जिससे ग्रामीण परेशान हैं.

नुआंव. प्रखंड क्षेत्र की अकोल्ही पंचायत अंतर्गत प्रतापपुर महादलित बस्ती में पिछले तीन वर्षों से पीने के पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है, जिससे ग्रामीण परेशान हैं. यहां लगभग 400 की जनसंख्या वाली महादलित बस्ती के लोगों की प्यास बुझाने के लिए नल जल योजना के तहत छह वर्षों पूर्व नलजल की पाइपलाइन बिछायी गयी. बस्ती में दो सरकारी चापाकल भी लगे. किंतु छह वर्षों के बीच लगाये गये जल मीनार से पानी सप्लाइ करने के लिए लाखों रुपये खर्च कर तीन बार बोरिंग कराये जाने के बाद भी ग्रामीणों के कंठ अब तक सूखे हैं. जबकि, प्यास बुझाने के लिए लगाये गये दो सरकारी चापाकल के भी हलक सूखे हैंं. ऐसे में ग्रामीण बस्ती के एक कुएं व अन्य घरों में लगाये गये निजी चापाकल से लोग अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. इन पर ना तो प्रशासन की नजर जा रही, ना ही जनप्रतिनिधि संज्ञान ले रहे. बस्ती के जयश्री मुसहर ने बताया बस्ती की आबादी लगभग 400 है, जबकि मतदाताओं की संख्या लगभग 170 है. दोनों सरकारी चापाकल खराब हैं. छह माह पूर्व ठेकेदार द्वारा तीसरी बार नल जल के लिए बोरिंग तो करायी गयी, किंतु इसका कनेक्शन मेन पाइप में नहीं किया गया. बस्ती में नल जल के दौड़ाये गये सभी पाइपों के भी बुरे हाल हैं, ज्यादातर पाइप में बालू भर जाने से पानी नहीं जा पा रहा. लगभग तीन वर्ष पूर्व नहर पथ से बस्ती तक बनायी गयी सड़क घटिया काम की वजह से टूट गयी है, जिसमें आज भी धरातल पर तीन नंबर की ईंट व पतली सीमेंट की ढलाई देखने को भी मिल जायेंगे. हमलोगों की पीड़ा सुनने वाला कोई नहीं है. बस्ती के पश्चिम 200 मीटर सड़क नहीं बनने से आज भी कई घरों के लोग प्रभावित हैं. सड़क बनने के लिए ग्रामीण अपनी जमीन भी देने को तैयार हैं, किंतु सड़क का निर्माण नहीं कराया जा रहा. # क्या कहते हैं ग्रामीण –बस्ती के शिवजग मुसहर ने बताया पिछले छह माह से पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है. आसपास के घरों के चापाकल से पानी लाकर लोग अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. काफी दिनों से खराब पड़े नल जल से पानी देने के लिए छह माह पूर्व तीसरी बार बोरिंग भी करायी गयी. बोरिंग से पानी भी निकला, किंतु संवेदक द्वारा सप्लाई में कनेक्शन करने के बजाय मशीन चलाने वाले स्टार्टर को ही निकाल कर ले जाया गया. –बस्ती के राजेंद्र राम ने बताया तीन वर्ष से पानी नहीं मिल रहा. आसपास के घरों के चापाकलों से किसी तरह पानी लेकर काम चला रहे हैं. अब पानी देने में पड़ोसी भी कतरा रहे है, जो काफी कष्टदायी हैं. –बस्ती के धर्मेंद्र मुसहर ने कहा 400 आबादी वाली बस्ती में एक जलमीनार के साथ दो सरकारी चापाकल हैं, सभी बंद पड़े हैं. बस्ती के दक्षिण तरफ एक कुआं है, जिस पर छोटे बच्चे बाल्टी से पानी निकालने अक्सर जाते हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का शिकार भी हो सकते हैं. –बस्ती की तेतरी देवी ने कहा हमलोगों की प्यास बुझाने के लिए तीन बार भले ही सरकारी फंड से जल निकासी के लिए बोरिंग करायी गयी, किंतु सही मायने में इससे लगातार पानी नहीं मिल पाया. –बस्ती की चंदा देवी ने बताया अब तक जलमीनार लगने के बाद सही तरीके से एक वर्ष तक भी नल का जल हम नहीं पी पाये है. बाकी आये दिन हम लोगों को पानी के लिए इधर-उधर भटकना ही पड़ता है. # क्या कहते है बीडीओ उक्त संबंध में बीडीओ कृष्ण मुरारी ने कहा आपके द्वारा मामले की जानकारी हुई है, उसको हम देखवा लेते हैं क्या स्थिति है. # क्या कहते हैं जेइ इस संबंध में जेइ मनोज कुमार ने बताया एक माह पहले बस्ती में बंद पड़े चापाकल को मिस्त्री भेजकर बनवाये थे. नलजल किन कारणों से बंद है, पता कर रहे हैं.

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