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वर्षों से स्टीमर की जांच नहीं, फेरी सेवा पर पड़ सकता है असर

‘ड्राइ डॉक’ ( लांच हेल्थ चेकअप ) नहीं होने के कारण हावड़ा और कोलकाता के बीच चलने वाले फेरी सेवा के कई स्टीमर पहले ही परिचालन में नहीं हैं. हुगली नदी जलपथ परिवहन समन्वय समिति के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्टीमर का हेल्थ चेकअप नहीं होने के कारण पांच और स्टीमर 21 दिसंबर को परिचालन के लिए अनफिट हो जायेंगे. उक्त पांच स्टीमरों की समय सीमा 21 दिसंबर के समाप्त हो रही है. कुल मिलाकर, हुगली नदी जलपथ परिवहन गंभीर संकट का सामना कर रहा है. माना जा रहा है कि पहले से ही 15 लंच अनफिट हैं. और पांच लंच के बंद होने से फेरी सेवा पर खासा असर पड़ने की संभावना है.

कोलकाता.

‘ड्राइ डॉक’ ( लांच हेल्थ चेकअप ) नहीं होने के कारण हावड़ा और कोलकाता के बीच चलने वाले फेरी सेवा के कई स्टीमर पहले ही परिचालन में नहीं हैं. हुगली नदी जलपथ परिवहन समन्वय समिति के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, स्टीमर का हेल्थ चेकअप नहीं होने के कारण पांच और स्टीमर 21 दिसंबर को परिचालन के लिए अनफिट हो जायेंगे. उक्त पांच स्टीमरों की समय सीमा 21 दिसंबर के समाप्त हो रही है. कुल मिलाकर, हुगली नदी जलपथ परिवहन गंभीर संकट का सामना कर रहा है. माना जा रहा है कि पहले से ही 15 लंच अनफिट हैं. और पांच लंच के बंद होने से फेरी सेवा पर खासा असर पड़ने की संभावना है.

गौरतलब है कि हुगली नदी जलपथ परिवहन समन्वय समिति द्वारा ही हावड़ा और कोलकाता के बीच फेरी सेवा का परिचालन किया जाता है. समिति के स्टीमर से हर दिन हजारों यात्री आवाजाही करते हैं. लेकिन पिछले कुछ दशकों में इस समिति के खिलाफ कई शिकायतें मिली. विशेष रूप से जहाजों के रखरखाव पर ध्यान नहीं देने के कारण यात्री सुरक्षा बार-बार उपेक्षित हुई है.

अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन (आइटीडब्ल्यू) नदियों में चलने वाले यात्री जहाजों का वार्षिक सर्वेक्षण करता है. इसके अलावा, स्टीमरों के स्वास्थ्य की जांच के लिए हर पांच साल में ‘ड्राई डॉक’ किया जाता है. नियमों के मुताबिक,आइटीडब्ल्यू तब तक समीक्षा नहीं करता, जब तक वह ‘ड्राइ डॉक’ न हो. यदि कोई सर्वेक्षण नहीं किया जाता है, तो स्टीमर को यात्रियों को ले जाने के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है. सहकारी समिति के सूत्रों के अनुसार, 15 स्टीमर कई वर्षों से ‘ड्राइ डॉक’ के अभाव में बंद पड़े हैं. क्षतिग्रस्त स्टीमलर, कोलकाता के अर्मेनियम घाट के पास बंधे हुए हैं. मिली जानकारी के अनुसार, पांच में तीन स्टीमर एमवी कंसावती, एमवी मोतीझील और एमवी मेघमा हावड़ा-नादीरगंज जलमार्ग पर चलते हैं. शेष दो स्टीमर, एमवी दृष्टि और एमवी चोखाचोखी हैं. पहले तीन स्टीमरोंं की समीक्षा अवधि 18 दिसंबर को समाप्त होगी, शेष दो की 21 दिसंबर को. बताया जाता है कि यात्री सेवाओं को जारी रखने के लिए राज्य भूतल परिवहन निगम से पांच स्टीमर किराये पर लिये हैं.

सहकारी समिति के अध्यक्ष और हावड़ा नगर परिषद के सदस्य रायचरण मन्ना ने कहा कि हमने राज्य सरकार से कुछ और महीनों के लिए अपील की है. हालांकि एमवी नंदिनी नाम के एक स्टीमर की मरम्मत कर ली गयी है. यह जल्द ही उपलब्ध होगा.

ड्राइ डॉक में जहाजों की होती है मरम्मत

ड्राइ डॉक एक ऐसा संरक्षित क्षेत्र होता है, जिसमें जहाजों और नौकाओं के निर्माण, मरम्मत और रखरखाव संबंधी कार्य किये जाते हैं. नदियों या फिर समुद्र किनारे एक विशेष प्रकार का निर्माण किया जाता है, जिसमें आसानी से नदी या फिर समुद्र का पानी भरा जा सकता है. इसे लॉक एरिया कहा जाता है. लॉक एरिया में पानी भर कर जहाजों को यहां लाया जाता है. जहाज के अंदर आने के बाद लॉक गेट बंद कर दिया जाता है. नदी या फिर समुद्र का पानी बाहर निकाल कर यहा पर क्षतिग्रस्त जहाज की मरम्मत की जाती है.

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