बेंगाबाद की बूथ संख्या 121 के बुजुर्ग मतदाता दौलत महतो (90 वर्ष) को मतदान से वंचित रहने से ज्यादा मलाल यह है कि जिंदा होने के बाद भी मतदाता सूची में उसे कैसे मृत घोषित कर दिया गया. आसपास के ग्रामीणों ने भी मतदान कराने आये पीठासीन पदाधिकारी को भरोसा दिलाते हुए दौलत महतो की पहचान की. खुद दौलत ने अपना मतदाता पहचान पत्र दिखाया, लेकिन सूची में डिलीट लिखे होने की दलील देते हुए पीठासीन पदाधिकारी ने उसके किसी भी दस्तावेज पर यकीन नहीं किया. परेशान होकर वृद्ध बिना मतदान के ही वापस लौट गये. छोटकीखरगडीहा निवासी दौलत महतो मतदान के लिए पहचान पत्र के साथ उक्त बूथ पर पहुंचा, लेकिन जब वह मतदान कक्ष में प्रवेश किये तो मिलान कर रहे कर्मियों ने उसके नाम के आगे डिलीट होने की बात कहते हुए मतदान से रोक दिया. हो-हंगामा के बाद मामला पीठासीन पदाधिकारी खुभलाल दास के पास पहुंचा. उन्होंने भी उन्हें मतदान से रोक दिया. अंत में परेशान होकर दौलत बिना मतदान किये वापस लौट गये.
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