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Ghatshila News : डेढ़ करोड़ के अस्पताल भवन का उद्घाटन भी नहीं हुआ, खिड़की- दरवाजे हो गये चोरी

धालभूमगढ़ में 50 बेड का ग्रामीण अस्पताल शुरू होना था, दीवारों में पड़ी दरार, गिट्टी खदान के गड्ढे में बना दिया गया भवन, पहुंचने का रास्ता तक नहीं

ओम प्रकाश शर्मा, धालभूमगढ़

धालभूमगढ़ प्रखंड के पावड़ा-नरसिंहगढ़ गांव में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बना 50 बेड का अस्पताल भवन का उद्घाटन होने से ग्रिल, दरवाजे व खिड़की चोरी हो गयी. खिड़कियों के कांच टूट कर बिखरे पड़े हैं. पूरा भवन झाड़ियों से घिर गया है. भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारें पड़ गयी हैं. सरकारी राशि का दुरुपयोग हुआ है. गिट्टी खदान के गड्ढों के कारण अस्पताल भवन तक जाने का रास्ता नहीं है. साफ प्रतीत हो रहा है कि ठेकेदारी व कमीशन खोरी के लिए भवन बनाकर छोड़ दिया गया. उक्त भवन का निर्माण कल्याण विभाग से ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के अधीन मेसर्स न्यू भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी रांची ने 1,55,91,918 रुपये की लागत से किया है. भवन में बिजली की वायरिंग, पंखे, पानी का मोटर सब कुछ लग चुके थे, लेकिन विभाग ने चालू नहीं किया.

23 अप्रैल, 2024 को निरीक्षण में निर्माण स्थल पर आपत्ति जतायी गयी थी

विगत 23 अप्रैल, 2024 को आइटीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर दीपांकर चौधरी, जिला कल्याण पदाधिकारी राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, सिविल सर्जन जुझार माझी, चिकित्सा प्रभारी ओ पी चौधरी ने आदिवासी कल्याण आयुक्त के निर्देश पर अस्पताल का निरीक्षण किया था. इस दौरान पाया गया कि भवन के सभी खिड़की-दरवाजे गायब हैं. अस्पताल तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. गिट्टी खदानों के गड्ढों में भवन निर्माण कर दिया गया है, वहां बरसात में जल जमाव होता है. भवन की चहारदीवारी तक नहीं की गयी है. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि इस तरह का स्थल चयन कैसे किया जाता है. इस क्रम में जिला कल्याण पदाधिकारी ने कहा था कि आदिवासी कल्याण आयुक्त के निर्देश पर भवन का भौतिक निरीक्षण किया गया. इसकी मरम्मत के लिए प्राक्कलन तैयार कर भेजा जायेगा. संभवत एचआर एजेंसी के माध्यम से अस्पताल को चालू कराया जायेगा, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके.

दो- दो बीडीओ ने किया सीएचसी को शिफ्ट करने का प्रयास

अस्पताल भवन बनने के बाद बीडीओ अभय द्विवेदी व शालिनी खालको ने कई बार वर्तमान सीएचसी को यहां शिफ्ट करने का प्रयास किया. कोरोना काल में यहां कोरेंटिन सेंटर भी बनाया गया. हर बार स्वास्थ्य विभाग ने विभिन्न कारण दर्शाते हुए भवन में शिफ्ट होने से इनकार कर दिया. इसके कारण डेढ़ करोड़ का भवन खंडहर बनने के कगार पर पहुंच गया.

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