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पीडीआइ पर राजापाकर पंचायत समिति व पुनहदा ग्राम पंचायत टॉपर

पंचायती राज विभाग द्वारा राज्य की सभी ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों को पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआइ) पर मूल्यांकन किया जा रहा है.

पंचायत विकास सूचकांक पर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं राज्य की पंचायतें संवाददाता,पटना पंचायती राज विभाग द्वारा राज्य की सभी ग्राम पंचायतों और पंचायत समितियों को पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआइ) पर मूल्यांकन किया जा रहा है. विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि पंचायत विकास सूचकांक पर राज्य की तीन पंचायत समितियों ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. इनमें टॉप पर वैशाली जिला की राजापाकर पंचायत समिति है. इसके अलावा दूसरे स्थान पर नालंदा जिला का परवलपुर पंचायत समिति, जबकि तीसरे स्थान पर शेखपुरा जिला की शेखोपुर सराय पंचायत समिति ने अपना स्थान बनाया है. इसी प्रकार ग्राम स्तर पर पंचायत विकास सूचकांक के मामले में टॉप पर जहानाबाद जिला के मखदुमपुर प्रखंड की पुनहदा ग्राम पंचायत है, जबकि दूसरा स्थान मुजफ्फरपुर जिला के कटरा प्रखंड की जजुआर मध्य ग्राम पंचायत है. तीसरे स्थान पर जहानाबाद जिला के काको प्रखंड की उत्तर सेरथु ग्राम पंचायत है. पंचायतों के विकास का आकलन करने के लिए पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विकसित पंचायत विकास सूचकांक तैयार किया गया है. स्थानीय सतत विकास लक्ष्य के नौ विषयों पर इनका मूल्यांकन किया जा रहा है. इसमें गरीबी मुक्त और आजीविका उन्नत गांव, स्वस्थ गांव, बाल हितैषी गांव, जल पर्याप्त गांव, स्वच्छ और हरित गांव, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचा युक्त गांव, सामाजिक न्याय एवं सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव, सुशासित गांव और महिला हितैषी गांव विषय शामिल हैं. पंचायत विकास सूचकांक पर पंचायतों को विभिन्न विषयों पर प्रदर्शन के आधार पर अंक प्रदान किया जाता है. अधिकतम 100 अंकों में मूल्यांकन किया जाता है. प्राप्त अंकों के आधार पर पंचायतों की चार श्रेणियां निर्धारित की गयी है. सूचकांक पर 100 से 90 अंक प्राप्त करने वाली पंचायतों को ए-ग्रेड प्लस, प्रदान किया जाता है तथा इन्हें एचीवर श्रेणी में रखा जाता है. 75 से ज्यादा लेकिन 90 से कम अंक प्राप्त करने वाली पंचायतों को ए-प्लस ग्रेड मिलता है. इनको फ्रंट रनर की श्रेणी में रखा जाता है. 60 से अधिक लेकिन 75 से कम अंक प्राप्त करने वाली पंचायतें परफॉर्मर की श्रेणी में रखी जाती हैं तथा इन्हें बी-ग्रेड दिया जाता है. 60 से कम लेकिन 40 से अधिक अंक प्राप्त करने वाली पंचायतें एसपाइरेंट की श्रेणी में आती हैं और इनको सी- ग्रेड दिया जाता है. 40 से कम अंक प्राप्त करने वाले पंचायतों को डी- ग्रेड प्रदान करते हुए शुरुआत करने की श्रेणी में रखा जाता है. इन मानकों पर पिछड़नेवाली पंचायतों को प्रशिक्षण देकर मानक पूरा करने की दिशा में पहल किया जा रहा है.

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