मधुपुर. शहर के पंचमंदिर रोड स्थित निजी आवास परिसर में झारखंड बंगाली समिति मधुपुर शाखा के तत्वावधान में शुक्रवार को डाॅ जगदीश चंद्र बोस की 87 वीं पुण्यतिथि समारोह पूर्वक मनाया गया. लोगों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण कर नमन किया. इस अवसर पर बंगाली समिति के सचिव विद्रोह मित्रा ने कहा कि बांग्लादेश के मुंशीगंज में 1858 में जन्मे जगदीश चंद्र बोस के माता-पिता यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि वे अंग्रेजी सीखने से पहले अपनी मातृभाषा सीखें. कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और फिर लंदन विश्वविद्यालय में अध्ययन कर उन्होंने 1884 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की. क्रेस्कोग्राफ नामक एक यंत्र आविष्कार कर जगदीश चंद्र बोस ने पौधों में जीवन होता है. मनुष्यों और अन्य जानवरों की तरह ही उत्तेजनाओं पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं. उन्होंने बंगला में लापता की कहानी नामक पुस्तक लिखी. यह बंगला भाषा में विज्ञान कथाओं की पहली कृतियों में से एक थी, जिसके कारण उन्हें ” बंगाली विज्ञान कथाओं का जनक ” की उपाधि मिली. आज ही के दिन 1937 को विज्ञान भवन गिरिडीह में उन्होंने अंतिम सांस ली थी. मौके पर दर्जनों समिति के सदस्य मौजूद थे.
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