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Ranchi news : कई सीटों पर एक हजार से नीचे रहा है हार-जीत का अंतर

2009 में हटिया विधानसभा में 25 मतों के अंतर से हुआ था जीत-हार का फैसला

अविनाश, रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव-2024 का परिणाम शनिवार को आ जायेगा. अगर पूर्व के विधानसभा चुनावों के परिणामों पर गौर करें, तो कई प्रत्याशी छोटे अंतर से जीत कर विधायक बने हैं. कई सीटों पर हार-जीत का अंतर एक हजार से नीचे रहा है. 25 मतों के अंतर से भी जीत-हार हुई है. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में हटिया में जीत का मार्जिन 25 मतों का ही था. राज्य गठन के बाद हुए चुनावों में कई सीटों पर कम मतों के अंतर से प्रत्याशी चुनाव जीते हैं.

2019 के विधानसभा चुनाव में पूरे राज्य में नौ सीटें ऐसी थीं, जहां जीत का अंतर पांच हजार से कम का रहा था. 2019 के विधानसभा चुनाव में सबसे कम अंतर से सिमडेगा सीट से कांग्रेस के भूषण बारा ने जीत दर्ज की थी. भूषण बारा ने 285 वोटों से जीत हासिल की थी. वहीं, धनबाद जिले की बाघमारा सीट से भाजपा के ढुलू महतो (वर्तमान में धनबाद सांसद) ने 894 मतों से जीत दर्ज की थी. 2014 के चुनाव में तोरपा विधानसभा क्षेत्र से झामुमो के पौलुस सुरीन ने भाजपा के कोचे मुंडा को 43 मतों के अंतर से हराया था. राज्य गठन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में सबसे कम अंतर से जीत का रिकाॅर्ड हटिया विधानसभा के नाम रहा है.

25 वोट से हारे थे सारडा

वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी लाल गोपाल शरण नाथ शाहदेव (अब स्वर्गीय) ने भाजपा प्रत्याशी रामजी लाल सारडा को 25 मतों से हराया था. 2009 के चुनाव में लातेहार सीट से भाजपा प्रत्याशी बैद्यनाथ राम ने प्रकाश राम को 438 मतों से हराया था, जबकि मनिका सीट से भाजपा के ही हरेकृष्णा सिंह ने 1038 मतों के अंतर से रामचंद्र सिंह को हराया था. 2005 के चुनाव में पलामू के हुसैनाबाद सीट से कमलेश कुमार सिंह ने लगभग 37 मतों के अंतर से संजय सिंह यादव को हराया था. अविभाजित बिहार के जमाने में वर्ष 2000 में हुए चुनाव में पलामू की पांकी सीट से मधु सिंह (अब दिवंगत) ने 35 मतों के अंतर से विदेश सिंह को हराया था. यह मामला कई वर्षों तक अदालत में चला था. वहीं, 1990 में हुसैनाबाद सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में दशरथ कुमार सिंह ने 163 मतों से चुनाव जीता था. वर्ष 2009 में चक्रधरपुर सीट पर जीत-हार का अंतर 290 तथा खूंटी सीट पर जीत-हार का अंतर 436 था. 2014 में बड़कागांव सीट पर 411, लोहरदगा में 592 और विशुनपुर में 569 मतों के अंतर से जीत-हार का फैसला हुआ था.

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