बेरमो. इस विधानसभा चुनाव में कुमार जयमंगल की जीत के साथ बेरमो सीट रिकाॅर्ड 12वीं बार कांग्रेस की झोली में गयी. वर्ष 1957 में बेरमो अलग विधानसभा क्षेत्र बना था. इसके बाद 1962 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे ने प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ठाकुर ब्रजेश्वर प्रसाद सिंह को, 1967 में एनपी सिंह को, 1969 में यमुना सिंह को तथा 1972 में रामदास सिंह को हराया था. कांग्रेस द्वारा इमरजेंसी लगा दिये जाने के बाद 1977 के विस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे जनता पार्टी के उम्मीदवार रामदास सिंह से पराजित हो गये थे. इसके बाद 1980 के विस चुनाव में कांग्रेस ने यहां केपी सिंह को टिकट दिया, लेकिन वह भाजपा प्रत्याशी रामदास सिंह से हार गये. 1985 के विस चुनाव में राजेंद्र प्रसाद सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी बनाये गये और जीते भी. इसके बाद 1990,1995 तथा 2000 तक वह लगातार चुनाव जीतते रहे. वर्ष 2005 में भाजपा के योगेश्वर महतो बाटुल से पराजित हो गये. लेकिन 2009 के चुनाव में भाजपा के श्री बाटुल को पराजित कर वह पांचवीं दफा विधायक बने. 2014 के चुनाव में पुन: भाजपा के श्री बाटुल से हार गये, लेकिन 2019 में उन्होंने 25 हजार मतों के अंतर से भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल को पराजित किया. इस प्रकार राजेंद्र सिंह बेरमो से रिकाॅर्ड छह बार विधायक बने. राजेंद्र प्रसाद सिंह के निधन के बाद 2020 के उप चुनाव में उनके पुत्र कुमार जयमंगल भाजपा प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल को करीब 14 हजार वोट से हरा कर पहली बार विधायक बने. इस बार के विस चुनाव में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदला तथा गिरिडीह से पांच बार के सांसद रहे रवींद्र कुमार पांडेय को प्रत्याशी बनाया, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी कुमार जयमंगल ने रिकाॅर्ड 29097 मतों के अंतर से जीत दर्ज की. भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहे.
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