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व्यापार के लिए शिक्षा और अनुभव, दोनों हैं जरूरी

व्यापार कोई ऐसी विधा नहीं, जिसे जो चाहे सफलतापूर्वक कर ही डाले. वैसे तो करने को कोई भी कर सकता है, पर इसकी भी अपनी जरूरी शर्तें हैं. उन शर्तों को पूरा करने वालों की सफलता की संभावनाएं अधिक होती हैं.

व्यापार कोई ऐसी विधा नहीं, जिसे जो चाहे सफलतापूर्वक कर ही डाले. वैसे तो करने को कोई भी कर सकता है, पर इसकी भी अपनी जरूरी शर्तें हैं. उन शर्तों को पूरा करने वालों की सफलता की संभावनाएं अधिक होती हैं. व्यापारिक जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने के लिए महानगर के विशिष्ट उद्योगपति कॉस्मिक सीआरएफ के निदेशक पवन टिबड़ेवाल से सच्चिदानंद पारीक ने विस्तार से बातें कीं. प्रस्तुत हैं उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश :

Q. कभी कहा जाता था कि नौकरी करने को पढ़ाई बहुत जरूरी है, परंतु व्यापार के लिए इसकी कोई खास जरूरत नहीं. क्या आप भी ऐसा मानते हैं ?जवाब : यह कभी की बात थी. पर, आज का समय अलग है. व्यापार एक सीमित दायरे से निकल कर वैश्वीकरण की राह पकड़ चुका है. रोज कुछ नयी संभावनाओं पर लोग काम कर रहे हैं. ऐसे में नौकरी की तरह ही व्यापार के लिए भी एजुकेशन जरूरी हो गया है. पहले के लोग इस तरह की बातें इसलिए करते थे, क्योंकि तब के युवा आमतौर पर सीधे काम-धंधे की तरफ बढ़ते थे. परिजन पहला विकल्प पुश्तैनी काम को ही बताते थे. बच्चे का रुझान अगर पढ़ाई की तरफ नहीं था, तो घर वाले कह भी देते कि कौन पढ़-लिख कर नौकरी करनी है. दुकान पर ही तो बैठना है. लेकिन, अब वो बात नहीं है सच्चिदानंद जी. व्यापार के मायने भी अब बदल गये हैं. जो अब विशेष ढंग से पढ़ा-लिखा नहीं होगा, बाजार की तेज रफ्तार प्रतिस्पर्धा उसे बाहर कर दे सकती है. इसलिए आधुनिक शिक्षा से संपन्न होना भी जरूरी हो गया है .Q. मारवाड़ी समाज को शुरू से ही व्यापार के लिए जाना जाता है. लेकिन इन दिनों युवा अच्छी सैलरी और पैकेज की बात ज्यादा कर रहे हैं. इस पर आप कैसे रिएक्ट करते हैं ?जवाब : देखिये, यह किसी भी युवा का अपना व्यक्तिगत निर्णय हो सकता है कि वो व्यापार में जाएगा या नौकरी में. हम इस संबंध में उनसे कुछ कह नहीं सकते. अगर अगर एक युवा आशानुकूल अपनी तय आय और संपर्कों की एक निश्चित परिधि में रह कर संतुष्ट है, तो उसके लिए नौकरी भी ठीक है. पर, यदि वह असीम संभावनाओं का आकाश नापना चाहता है, तो उसे व्यापार में जाना होगा. हां, यह जरूर है कि दोनों के लिए ही प्रारंभिक दौर में नौकरी एक अच्छा ऑप्शन है. अपनी पसंद के मुताबिक एक युवा नौकरी करते हुए काफी कुछ सीख सकता है. अनुभव की यह पढ़ाई उसके लिए किसी भी तरह एक डिग्री से कम नहीं होगी. क्योंकि, नौकरी करते हुए ही वह सही अर्थों में जिम्मेदारी व अनुशासन के सबक सीख जाता है. पारीक जी, जमीनी स्तर पर काम करने का अनुभव तो व्यक्ति को निखारता ही है. मैंने भी अपनी शुरुआत नौकरी से ही की थी. सीए के बाद आदित्य बिड़ला ग्रुप ज्वाइन किया. छह साल नौकरी करते हुए व्यापार की बारीकियों को समझा. व्यापार खड़ा करने के लिए आवश्यक योजनाएं तैयार करने के साथ आवश्यक वित्तीय व्यवस्था और प्रबंधन के गुर सीखने के पश्चात कुछ क्लाइंट्स के साथ मिल कर मैंने ओडिशा के बड़बिल में आयरन व्यवसाय की तरफ पहला कदम आगे बढ़ाया था.

Q. व्यापारिक जीवन में कभी कोई खास चुनौती, जिसका आपको सामना करना पड़ा ? जवाब : जीवन का कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां चुनौतियां न हों. आप आगे बढ़ने के साथ कुछ अच्छा करने की कोशिश में लगे हैं, तो निश्चित ही आपके सामने चुनौतियां आएंगी. पर, धैर्य और सूझबूझ के साथ इन्हें पार कर जाना ही आपकी योग्यता और क्षमता को प्रमाणित करेगा. इससे ही आपकी दक्षता का प्रमाण मिलेगा. कोविड-19 का दौर तो ऐसा ही था. सब कुछ बंद होने के कगार पर था. पर हम लोगों ने हिम्मत नहीं हारी. उस परिस्थिति से उबरने का प्रयास किया और आखिरकार जीत हमारी हुई. ईश्वर का अंतर्मन से आभार कि अब सब कुछ सामान्य है. राउरकेला और सिंगूर में दो कारखाने चल रहे हैं. श्रीरामपुर इस्पात प्रा. लिमिटेड हमारा पुराना फर्म है. हम स्पंज आयरन का उत्पादन करते हैं. रेलवे वैगन में काम आने वाले पार्ट्स भी सप्लाई करते हैं. हमें इस बात का गर्व है कि लगभग सवा सौ से ज्यादा कर्मचारी हमारे उद्योग के जरिये हमसे जुड़े हुए हैं. इसी साल बैंक ऑफ इंडिया इंडिया ने अपने 118 वें स्थापना दिवस के मौके पर हमें महानगर के स्टार हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ ग्राहक का सम्मान प्रदान किया.

Q. सामाजिक महत्व के कामकाज में भी आपकी गहरी रुचि के बारे में सुना हूं. आप एक सफल व्यवसायी भी हैं. आप अपनी व्यावसायिक व्यस्तता के बीच सामाजिक कामकाज के लिए भी कैसे टाइम मैनेज करते हैं ? जवाब : सभा-संस्थाओं का काम पूरी तरह से टीम वर्क पर निर्भर होता है. सभी अपना-अपना काम करते हैं. इसलिए यदि पूरे दिन भर में एक दो घंटे का समय समर्पण भाव से समाज के लिए दिया जाये, तो उतने से ही काफी कुछ किया जा सकता है. प्रेरणा फाउंडेशन के माध्यम से नीमतला बर्निंग घाट, अहिरीटोला घाट और जजेज घाट के नवीनीकरण और रखरखाव की ज़िम्मेदारी मिली, तो मैंने अपनी ओर से सदैव ही श्रेष्ठ देने का प्रयास किया. संस्था हिंदू ब्यूरियल ग्राउंड के सौंदर्यीकरण की दिशा में भी आगे बढ़ रही है. कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी की लिलुया और सोदपुर सहित सात शाखाएं हैं. करीब सात हज़ार गोवंशों का पालन-पोषण हो रहा है. गोवंश की सेवा और संवर्द्धन से जुड़े कई तरह के सेवा प्रकल्प चल रहे हैं. सोदपुर में सोसाइटी का अपना पशु चिकित्सालय भी है, जहां निराश्रित गोवंशों की सेवा-चिकित्सा हो रही है. इसी साल गोपाष्टमी मेले में सेंचुरी प्लाइवुड के सौजन्य से गौ माताओं के लिए नयी हाइड्रोलिक एंबुलेंस सेवा का लोकार्पण भी हुआ है. कहने का तात्पर्य यह है अपने लिए तो सभी लगे ही हैं, लेकिन थोड़ा समय समाज के लिए भी लगाना चाहिए. हमारी संस्कृति और परंपराएं हमारी पहचान से जुड़ी हैं. इसलिए इन्हें बचाए रखना भी हमारी जिम्मेदारी है. Q. भावी युवा उद्यमियों के लिए आपका कुछ खास संदेश ? जवाब : जो भी काम या दायित्व मिले, उसके प्रति समर्पित रहें. लगन और निष्ठा के साथ अपना काम करें. अनुशासन जीवन में बहुत जरूरी है. मैं भी इसका पालन करता हूं. काम के प्रति समर्पित और लक्ष्य के प्रति जागरूक रहें, तो सफलता आसान हो जाती है. हां, पर स्वास्थ्य के प्रति भी उतने ही सजग और सावधान रहना चाहिए. क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य ही वह पूंजी है, जिस पर आपके भविष्य की बुनियाद टिकी हुई है. अत: मैं सबसे कहूंगा कि आप जीवन में अनुशासन लाएं, अपनी दिनचर्या का एक रूटीन बनाएं. हर काम तय समय पर करें. किसी भी काम में लापरवाही तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. साथ में आपकी एकाउंटेबिलिटी आपको और मजबूत बना देगी. फिर तो जीवन की हर राह आसान लगने लगेगी.

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