Bihar News: बिहार का बक्सर एक धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक नगरी है. यहां दूर दराज से भक्त आए दिन लगने वाले मेले में शामिल होने के लिए भारी संख्या में आते हैं. बक्सर भगवान श्रीराम की शिक्षा स्थली है, तो ऋषि-मुनियों के यज्ञ में विघ्न पहुंचाने वाली राक्षसी ताड़का का भी वध भगवान श्रीराम ने यहीं पर किया था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान श्रीराम और लक्ष्मण त्रेतायुग में लिट्टी-चोखा खाने आए थे. गोईंठा (उपला) पर बनने वाला लिट्टी और उसी आग पर पकने वाले आलू-बैंगन-टमाटर का लजिज चोखा बड़ा ही स्वादिष्ट होता है. इस दिन का भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है.
लिट्टी-चोखा का है विश्व स्तर पर पहचान
लिट्टी-चोखा अपनी पहचान विश्व स्तर पर बना चुका है, आज की तारीख में यह किसी परिचय का मोहताज नहीं है. बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग इस मेले में शामिल होने के लिए आते हैं. जबकि शाहाबाद जिला (अब भोजपुर, बक्सर, भभूआ,रोहतास जिला), बलिया, गाजीपुर के लोगों के लिए यह मेला किसी त्योहार से कम नहीं है. यहां आकर लोग पहले गंगा स्नान करते हैं फिर लिट्टी-चोखा बनाकर खाते हैं.
त्रेतायुग से चलती आ रही है यह परंपरा
धार्मिकवेताओं की मानें तो यह परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है. बक्सर को सिद्धाश्रम के नाम से भी जाना जाता है. महर्षि विश्वामित्र द्वारा कराए गए नारायणमख यज्ञ के समापन के बाद भगवान राम-लक्ष्मण कुछ दिनों के लिए यहां रुके थे. इस यात्रा के दौरान भगवान राम ने ऋषि-महर्षियों के हाल-चाल जाने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए पांच महर्षियों के आश्रम भी गए. इस दौरान ऋषियों के य़हां भ्रमण के दौरान विभिन्न तरह के व्यंजनों को खाया था. उसी परंपरा को यहां के लोग आज भी जीवंत बनाकर पंचकोश का लिट्टी-चोखा जरुर खाते हैं.
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राम और लक्ष्मण सबसे पहले अहिरौली गौतम मुनी के आश्रम पहुंचे थे
पंचकोश के बारे कई मत हैं लेकिन त्रिदंडी स्वामी लिखित ‘सिद्धाश्रम महात्म्य’ में विस्तार से चर्चा मिलती है. बक्सर के रामरेखा घाट से भगवान श्री राम और लक्ष्मण सबसे पहले अहिरौली गौतम मुनी के आश्रम में पहुंचे. रात बिताए और उनलोगों ने यहां पुआ, पूड़ी, ठेकुआ खाया था. दूसरे दिन नदांव के नारद आश्रम पहुंचे, जहां देवर्षि नारद ने उन्हे खिचड़ी प्रसाद के रुप में खिलाया था.
पांचवे दिन भगवान राम को खिलाया गया था लिट्टी-चोखा
पंचकोशी मेला के तीसरे दिन भभुअर स्थित भार्गव मुनी के आश्रम में पहुंचे, वहां भोजन के तौर पर चुड़ा-दही खिलाया गया था. यात्रा के चौथे दिन उद्धालक ऋषि के आश्रम में नुआंव पहुंचे, अंजनी सरोवर में स्नान करने के बाद सत्तू और मूली खिलाया गया था. जबकि पांचवे दिन वापस विश्वामित्र मुनी के आश्रम में लौटने पर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण जी को लिट्टी-चोखा खिलाया गया था.
-मुरली मनोहर श्रीवास्तव का लेख