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भविष्य की चुनौतियां और बच्चे

UNICEF: वर्ष 2021 में बच्चों के जलवायु जोखिम सूचकांक में भारत कुल 163 देशों की सूची में 26 वें स्थान पर था. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि 2050 में बच्चों को 2000 के दशक की तुलना में लगभग आठ गुना ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ सकती है.

UNICEF: संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यानी यूनिसेफ ने भविष्य की विविध चुनौतियों के बीच भारत के बच्चों का आकलन करते हुए उसके अनुरूप नीति निर्माण की जो बात कही है, वह वाकई दूरगामी महत्व की है. ‘द फ्यूचर ऑफ चिल्ड्रेन इन ए चेंजिंग वर्ल्ड’ शीर्षक से यूनिसेफ ने अपनी सालाना ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड’स चिल्ड्रेन, 2024’ रिपोर्ट में बताया है कि 2050 में भारत में लगभग 35 करोड़ बच्चे होंगे, जो जनसंख्या, जलवायु और तकनीकी बदलावों की चुनौतियों का सामना करेंगे.

यूनिसेफ ने इस संदर्भ में कुल तीन वैश्विक प्रवृत्तियों-जनसांख्यिकीय बदलाव, जलवायु संकट और अग्रणी प्रौद्योगिकियों- को खास तौर से रेखांकित किया है, जो 2050 तक बच्चों के जीवन को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं. जनसांख्यिकी में बदलाव इस तरह से कि तब के भारत में अभी की तुलना में बच्चों की संख्या में 10.6 करोड़ की कमी आएगी. जहां तक जलवायु संकट की बात है, तो दुनिया में लगभग एक अरब बच्चे पहले से ही उच्च जोखिम वाले जलवायु खतरों का सामना कर रहे हैं.

वर्ष 2021 में बच्चों के जलवायु जोखिम सूचकांक में भारत कुल 163 देशों की सूची में 26 वें स्थान पर था. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि 2050 में बच्चों को 2000 के दशक की तुलना में लगभग आठ गुना ज्यादा गर्मी झेलनी पड़ सकती है. जाहिर है, जलवायु संकट बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा तथा पानी जैसे आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुंच पर प्रतिकूल असर डाल सकता है. वर्ष 2050 तक देश की आधी आबादी के चूंकि शहरी क्षेत्रों में रहने का अनुमान है. ऐसे में, बच्चों के अनुकूल और जलवायु परिवर्तन के लिहाज से जुझारु शहरी नियोजन की आवश्यकता होगी तथा देश को शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल और टिकाऊ शहरी ढांचे में निवेश को प्राथमिकता देनी पड़ेगी.

इसी तरह, गहरे डिजिटल विभाजन के बीच एआई यानी कृत्रिम मेधा बच्चों के लिए अच्छी और बुरी, दोनों हो सकती है. एक ताजा आंकड़ा बताता है कि उच्च आय वाले देशों में 95 फीसदी आबादी इंटरनेट से जुड़ी है, तो निम्न आय वाले देशों में सिर्फ 26 प्रतिशत लोगों की इंटरनेट तक पहुंच है. यूनिसेफ ने इस डिजिटल डिवाइड को पाटने और बच्चों तक नयी प्रौद्योगिकियों की सुरक्षित एवं समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए समावेशी प्रौद्योगिकी पहल की वकालत की है. रिपोर्ट बच्चे चूंकि हमारा भविष्य हैं, इसलिए बच्चों और उनके अधिकारों को सरकारी नीतियों-रणनीतियों के केंद्र में रखना समृद्ध और टिकाऊ भविष्य के निर्माण के लिए आवश्यक है.

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