-लेखक के निधन पर रंगकर्मियों व लेखकों ने दी श्रद्धांजलि-अच्छी पटकथा व रंगकर्म का पर्याय रहे विजय मित्रा
मुजफ्फरपुर.
सफदर सांस्कृतिक जमघट की ओर से गोला रोड स्थित संरचना आर्ट थियेटर में रंगकर्मी व पटकथा लेखक विजय मित्रा को श्रद्धांजलि दी गयी.लेखक अच्युतानंद किशोर ने उनके साथ बचपन की स्मृतियां साझा कीं. उन्होंने कहा कि 60 वर्षों से उनके साथ संबंध रहा है. इन वर्षों में मैंने उन्हें कभी धीरज खोते नहीं देखा. अलग-अलग विधाओं में होने के बावजूद हमलोग हमेशा साथ रहे. रंगकर्मी सुधीर कुमार ने कहा कि विजय मित्रा वरीय रंगकर्मी के साथ पटकथा लेखन में अपनी गहरी छाप छोड़ी. उन्होंनें कई नाटकों का निर्देशन भी किया. इप्टा के सचिव अजय विजेता ने कहा कि नए नाटकों के निर्देशन में हमेशा विजय मित्रा का साथ मिलता रहा है. नाटकों को लेकर वे काफी गंभीर थे और शहर की सांस्कृतिक परंपरा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. गीतकार डॉ कुमार विरल ने कहा कि हमलोगों की मित्रता चाय की दुकान से हुई थी. पटकथा लेखन में उनकी गंभीर पकड़ थी. कई मुद्दों पर हमलोग बात किया करते थे. फिल्म निर्माता इब्रान खान ने कहा कि विजय मित्रा हमारे गुरु थे. जो कुछ सीखा, उन्हीं से सीखा. उनके सहयोग और परामर्श से ही मेरी तीन फिल्में पूरी हुई. रंगकर्मी बैजू कुमार ने कहा कि विजय मित्रा बड़े भाई की तरह थी. मुझमें अभियन और लेखकीय प्रतिभा विकसित करने में उनका बड़ा योगदान रहा. विमल कुमार ने कहा कि शहर के रंगकर्म को बढ़ाने में विजय मित्रा का योगदान रहा है. आनंद पटेल ने कहा कि विजय मित्रा न केवल पटकथा में पारंगत थे, बल्कि जन आंदोलनों में भी सक्रिय भूमिका निभाते थे. संतोष सारंग ने विजय मित्रा को याद करते हुए उनकी पांडुलिपियों को प्रकाशित करने की सलाह दी. इस मौके पर पूजा कुमारी, राजु कुमार ने भी विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन सुधीर भगत ने किया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है