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ऋण वापस नहीं कर रहे 1463 कर्जदारों के विरुद्ध बॉडी वारंट व कुर्की जब्ती का आदेश जारी

कर्जदारों से ऋण की वसूली कम, बढ़ रही है डिफॉल्टरों की संख्या

कर्जदारों से ऋण की वसूली कम, बढ़ रही है डिफॉल्टरों की संख्या…………….

21 हजार से अधिक डिफॉल्टर पर 2.36 अरब रुपये है बकाया, नहीं लौटा रहे राशिखगड़िया. जिले के 1463 कर्जदारों के विरुद्ध निलाम-पत्र शाखा द्वारा बॉडी वारंट एवं कुर्की जब्ती का आदेश जारी किया गया है. नोटिस के बाद भी ऋण की राशि वापस नहीं करने वाले कर्जदारों के विरुद्ध वारंट जारी किया गया है. इस साल 593 डिफॉल्टरों के विरुद्ध वारंट जारी हुए हैं. जानकारी के मुताबिक जिले में डिफॉल्टर कर्जदारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ऋण लेने में जरूरतमंद लोग भले ही आगे रहते हैं, लेकिन जब लौटाने की बात आती है तो ऋणधारक भाग खड़े होते हैं. विभागीय आंकड़े के मुताबिक ऋण वसूली की स्थिति बेहद ही खराब है. ऐसे लोगों की संख्या अच्छी खासी है, जिन्होंने बैंक से ऋण लेकर राशि नहीं लौटाई. स्थिति यह है कि औसतन दो से तीन कर्जदारों पर प्रत्येक दिन कर्ज की राशि की राशि वसूली के लिए बैंक सर्टिफिकेट केस दर्ज करा रही है. बता दें कि ऋण वसूली की यह कार्रवाई (सर्टिफिकेट केस) नई नहीं है. पहले भी बैंक डिफॉल्टर कर्जदारों पर केस दर्ज कराती रही है. लेकिन जानकार बताते हैं कि हाल के कुछ वर्षों में इसमें काफी वृद्धि हुई है.

21 हजार से अधिक ऋणधारक पर हुआ है केस दर्ज

236 करोड़ लाख रुपये की वसूली को लेकर जिला निलाम-पत्र शाखा में 21 हजार 864 ऋणधारक के विरुद्ध सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया गया. बैंक, परिवहन, उत्पाद, विद्युत सहित अन्य विभागों द्वारा राशि वसूली की कार्रवाई के तहत इतने लोगों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज कराए गए हैं. इस साल भी पांच सौ से अधिक डिफॉल्टर कर्जदारों पर सर्टिफिकेट केस दर्ज हुए हैं. सैकड़ों लोगों से ऋण की राशि वसूल भी हुई है. लेकिन वसूली से अधिक नए मामले दायर हुए हैं. जो चिंता का विषय बना हुआ है. वहीं सूत्र की माने तो सर्टिफिकेट केस दर्ज होने के बाद भी कर्जदार ऋण लौटाने में अधिक रूची नहीं दिखा रहे हैं. यही कारण है कि वसूली मात्र 2.32 प्रतिशत हुआ है.

पांच साल में दस हजार ऋणधारक पर हुआ केस दर्ज

चिंता की बात यह है कि वसूली से अधिक डिफॉल्टर की संख्या में वृद्धि हो रही है. 31 मार्च 2018 के पहले 6115 ऋणधाराकों के विरुद्ध सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया था. लेकिन 1 अप्रैल 2019 तक यह आंकड़ा 10 हजार 374 तक पहुंच गया. वहीं 31 दिसम्बर 2019 को यह आंकड़ा बढ़कर 11 हजार 386 था. लेकिन 31 अक्टूबर 2024 तक 21 हजार 864 ऋणधारकों पर सर्टिफिकेट दर्ज कराया गया है. विभागीय आंकड़ा यह साफ बता रहा है कि डिफॉल्टरों की संख्या तेजी से वृद्धि हो रही है. सूत्र बताते है कि को-ऑपरेटिव बैंक, पीएनबी, ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक तथा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के काफी लोन एकाउंट एनपीए हो चुके हैं. ऐसे एकाउंट में बैंकों के कई रुपये फंसे हुए हैं. बैंकों ने हजारों कर्जदारों पर बकाए ऋण की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया गया है. बैंकों इन दिनों दोहरी परेशानी से घिरा हुआ है. पहली परेशानी तो यह है कि पुराने कर्जदारों से वसूली नहीं होने के कारण उनपर सर्टिफिकेट केस दर्ज कराना पड़ा. वहीं दूसरी परेशानी यह है कि काफी संख्या में नए ऋण खाते भी खराब यानी एनपीए हो रहे हैं.

कहते है अधिकारी

21 हजार से अधिक ऋणधारकों पर 2 अरब 36 करोड़ 94 लाख रुपये की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है. राशि जमा नहीं कर 1463 बकायेदारों के विरुद्ध वारंट भी जारी किया जा चुका है. ऋण वसूली की नियमित समीक्षा तथा तेजी लाने को लेकर लगातार प्रयास जारी है.

राकेश रंजन, प्रभारी पदाधिकारी निलाम-पत्र शाखा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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