समस्तीपुर : जिले के किसान टिश्यू कल्चर केले की खेती की ओर तेजी से मुखातिब हो रहे हैं. सरकार की ओर से टिश्यू कल्चर केले की खेती के लिए अनुदान भी दिये जाते हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में जिले में फल विकास योजना के तहत 100 हेक्टेयर में टिश्यू कल्चर केले की खेती का लक्ष्य रखा गया है. किसानों के द्वारा 141 हेक्टेयर से अधिक की खेती के लिए आवेदन दिया गया है. अब तक 30 हेक्टेयर से अधिक में केले की खेती की जा चुकी है. टिश्यू कल्चर केले की खेती के फायदे को देखते हुए किसान व्यवसायिक स्तर पर इसकी खेती करने लगे हैं. वैज्ञानिक की मानें तो टिश्यू कल्चर केला, केले की खेती करने की एक आधुनिक तकनीक है. इस तकनीक से तैयार पौधे रोगमुक्त, उच्च गुणवत्ता के होते हैं और इनमें समान फल लगते हैं.
टिश्यू कल्चर से किसानों को एक साथ कई फायदे
टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों की फसल करीब एक साल में तैयार हो जाती है. इस तकनीक से केले की खेती पूरे साल की जा सकती है. टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों में फल आम केले के पौधों की तुलना में जल्दी आते हैं. इस तकनीक से तैयार पौधों से केले की उपज और गुणवत्ता दोनों बेहतर होती है. टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों में समान रूप से वृद्धि होती है. इस विधि से तैयार पौधों में पुष्पन, फलन और घौंद की कटाई एक साथ होती है. टिश्यू कल्चर केले की खासियत है कि इससे तैयार पौधों से 30 से 35 किलो प्रति पौध केला मिलता है. इस केले में औषधीय गुणों की भरमार होती है. प्रति एकड़ किसान साढ़े चार लाख रुपये तक कमा सकते हैं. इसके फल में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल होते हैं. इसके साथ ही इसमें शर्करा, खनिज लवण, कैल्शियम तथा फॉस्फोरस की मात्रा प्रचुर होती है. इसके नियमित सेवन से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है. यह गठिया, उच्च रक्तचाप, अल्सर और किडनी के विकारों से संबंधित रोगों में बचाव में भी सहायक होता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है