ICA Global Cooperative Conference 2024: पीएम मोदी ने आज भारत मंडपम में आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 का उद्घाटन किया. वैश्विक स्तर पर सहकारिता के शीर्ष संगठन आईसीए के 130 साल के इतिहास में पहली बार भारत में इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा कि सहकारी आंदोलन को संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था से जोड़ने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भविष्य की वृद्धि में सहकारी समितियों की बड़ी भूमिका होगी. इस सम्मेलन में भूटान के प्रधानमंत्री दाशो शेरिंग तोबगे और फिजी के उप-प्रधानमंत्री मनोआ कामिकामिका भी शिरकत कर रहे हैं.
महिलाएं निभा रही हैं बड़ी भूमिका- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा कि महिलाएं सहकारिता आंदोलन में बड़ी भूमिका निभा रही हैं. पीएम मोदी ने कहा कि सहकारी समितियों की 60 फीसदी सदस्य महिलाएं है. उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है. दो लाख अतिरिक्त बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां स्थापित की जा रही हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो देश और समाज महिलाओं को अधिक भागीदारी प्रदान करेगा, वह उतनी ही तेजी से आगे बढ़ेगा. आज, भारत में यह महिला नेतृत्व वाले विकास का समय है.उन्होंने कहा कि हम सहकारी समितियों के प्रबंधन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. इसके लिए हमने बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम में संशोधन करके महिला निदेशकों को अनिवार्य कर दिया है.
सहकारिता जीवन जीने का एक तरीका- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईसीसी ग्लोबल कोऑपरेटिव कॉन्फ्रेंस 2024 में कहा कि, सहकारी बैंकों में करीब 12 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा है. भारत के लिए सहकारिता संस्कृति का आधार है. यह जीवन जीने का एक तरीका है. उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता क्रांति से पैदा हुआ अमूल आज का शीर्ष वैश्विक खाद्य ब्रांड है. भारत में सहकारी समितियों के पास विचार से आंदोलन तक क्रांति और फिर सशक्तिकरण तक की यात्रा है.
सहकारिता आंदोलन को भारत में नया विस्तार- प्रधानमंत्री
आईसीए वैश्विक सहकारी सम्मेलन 2024 में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह सम्मेलन पहली बार भारत में आयोजित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम भारत में सहकारी आंदोलन को नया विस्तार दे रहे हैं. यह सम्मेलन भारत के भविष्य के लिए आवश्यक अंतर्दृष्टि देगा. भारत के अनुभव वैश्विक सहकारी आंदोलन को 21वीं सदी के नए उपकरण और भावना प्रदान करेंगे. दुनिया के लिए, सहकारिता एक मॉडल है, भारत के लिए यह संस्कृति का आधार है, एक जीवन शैली है.