Gaya News: गया शहर के बीचोबीच स्थित 60 बेड के जेपीएन हॉस्पिटल (सदर अस्पताल) में सुविधाओं की कमी से हर वक्त लोगों को परेशानी होती है. हालांकि यह अस्पताल नया नहीं, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत के वक्त से यहां है, फिर भी कमियां कम नहीं हैं. शहर के बीच में होने के चलते यहां पर तुरंत ही लोग इलाज कराने पहुंच जाते हैं. हाल के दिनों में डॉक्टरों की कमी के चलते इलाज होने लायक मरीजों को भी यहां से रेफर ही कर दिया जाता है. स्टाफ की कमी यहां की बड़ी परेशानी है. ड्रेसर के दो पोस्ट सृजित होने के बाद भी यहां एक की भी तैनाती नहीं है. ड्रेसर का काम अन्य कर्मियों से लिया जाता है. हर दिन यहां ओपीडी में 1000 से 1200 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. सफाई व्यवस्था व भोजन को दुरुस्त रखने के लिए जिम्मेदारी जीविका को दी गयी है. जीविका कर्मी हर वक्त यहां मौजूद रहकर सब कुछ संभाल रही हैं. अस्पताल परिसर में दीदी की रसोई, प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र के साथ पीपीपी मोड पर सीटी स्कैन भी चलाया जा रहा है.
मेडिसिन विभाग में महज एक, तो सर्जरी में दो डॉक्टर
अस्पताल में ओपीडी रजिस्ट्रेशन के छह काउंटर, दवा वितरण केंद्र, जांच रिपोर्ट कलेक्शन काउंटर, जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र काउंटर अलग से चलाया जा रहा है. सुबह से दो बजे दोपहर तक ओपीडी में ही इमरजेंसी के मरीजों की पर्ची कटता है. दो बजे के बाद इमरजेंसी से अलग से काउंटर दो शिफ्ट में चलाया जाता है. यहां अतिगंभीर मरीजों के लिए पांच बेड का आइसीयू भी चलाया जा रहा है. अस्पताल में छह विभागों के मरीजों का इलाज किया जाता है. इसमें मेडिसिन में एक डॉक्टर, सर्जरी में दो, इएनटी में तीन, ऑर्थो में एक, गाइनी में तीन, शिशु रोग में एक डॉक्टर तैनात हैं. यहां पर मरीजों की संख्या के अनुपात में डॉक्टर की संख्या बहुत ही कम होती है.
स्त्री रोग विभाग में बच्चे होने पर पैसे मांगने की शिकायत
सदर हॉस्पिटल के स्त्री रोग विभाग में बच्चा होने पर यहां के कर्मचारियों द्वारा पैसे वसूलने की शिकायत अक्सर आती है. सबसे पहले बच्चा देने के नाम पर 500 रुपये व पहली बार बच्चे को दूध पिलाने के नाम पर 400-500 रुपये लेने की शिकायत अक्सर सामने आती है. इस पर सिविल सर्जन डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि जांच कर कार्रवाई का की जायेगी.
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क्या कहते हैं मरीज
अस्पताल पहुंचने के बाद यहां पर इलाज में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है. हर तरह की सुविधा के साथ बेहतर खाना दिया जाता है. दवा आदि बाहर से खरीदना नहीं पड़ता है.
बेबी कुमारी
यहां पर कर्मचारी बहुत ही सहयोग करते हैं. हालांकि, अंदर से बच्चा को लेते वक्त पैसे की मांग की जाती है. यहां पर खुशनामा के तौर पर मनमाना पैसे की मांग कर्मचारी करते हैं. यह गलत है.
बेबी कुमारी
कई तरह की दिक्कत जानकारी के अभाव में होती है. जानकारी होने पर सब कुछ मिलने लगता है. यहां पर सबसे अच्छी बात है कि दवा बाहर से नहीं लाना पड़ता और समय पर डॉक्टर मिल जाते हैं.
अर्चना कुमारी
सरकार की कोशिश को कर्मचारियों को लोगों तक पहुंचाना होता है. कर्मचारी ही उसके लिए पैसे की वसूल करने लगते हैं. इससे गरीब लोगों को काफी परेशानी होती है. यह काम नहीं होना चाहिए.
बेहतर व्यवस्था का किया जा रहा प्रयास
अस्पताल में कुछ जगहों पर डॉक्टरों व कर्मचारियों की कमी के चलते दिक्कत आती है. ऐसे कोशिश रहती है कि मौजूदा संसाधन में लोगों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करायी जाये. हाल के दिनों में विभाग की ओर से भी हर स्तर पर व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. कई स्तर की टीम की जांच में अस्पताल को बेहतर अंक मिले हैं.- डॉ प्रभात कुमार सिविल सर्जन