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इंडोनेशिया-यूरोप से समंदर पार कर पटना आए खास मेहमान, जानें कहां कर सकते हैं दीदार

पटना का राजधानी जलाशय इन दिनों विदेशी प्रवसी पक्षियों से गुलजार है. यह पक्षी ठंड के दिनों में इंडोनेशिया-यूरोप जैसे देशों से समंदर पार कर पटना पहुंचते हैं.

पटना में सर्दी की दस्तक के साथ ही इन दिनों देशी-विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है. इन पक्षियों के आगमन से सचिवालय परिसर स्थित 10 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में फैला राजधानी जलाशय गुलजार हो गया है. जहां आप इन खास विदेशी मेहमानों का दीदार कर सकते हैं. इस जलाशय में एशिया, इंडोनेशिया, यूरोप और चीन आदि देशों से गेडवाल, यूरेशियन कूट, कॉमन कूट जैसे प्रवासी पक्षी आ चुके हैं. फिलहाल यहां विभिन्न प्रजातियों के 4700 से अधिक पक्षी आ चुके हैं.

ठंड की दस्तक के साथ शुरू हुआ पक्षियों का आना

पटना पार्क प्रमंडल ने बताया कि सर्दी के आते ही जलाशय में विदेशी पक्षियों के झुंड आने लगे हैं. अब तक 10-15 जोड़े भारतीय और विदेशी पक्षी आ चुके हैं, जिनमें गेडवाल के 5 से अधिक जोड़े, कॉमन कूट के आठ, यूरेशियन कूट के 6 जोड़े समेत अन्य पक्षी यहां देखे जा रहे हैं.

तीन हजार किमी दूर से आते हैं ये पक्षी

पक्षी विशेषज्ञ नवीन कुमार ने बताया कि हर साल लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी बिहार आते हैं. इसका मुख्य कारण यह है कि जिन देशों में वे प्रवास करते हैं, वहां इस समय काफी ठंड और बर्फ होती है. जिसके कारण उन्हें भोजन और आवास की समस्या होती है. ऐसे में ये पक्षी हजारों मील का सफर तय कर दूसरे देश में अनुकूल वातावरण में रहने के लिए आते हैं. प्रवासी पक्षियों के आने का दौर जारी है जो दिसंबर मध्य तक जारी रहेगा. फिलहाल चीन से यूरेशियन कूट, न्यूयॉर्क से गेडवाल, कॉमन कूट समेत अन्य प्रवासी पक्षी यहां पहुंच रहे हैं.

अलग-अलग फ्लाइवेज से आते है पक्षी

पक्षी उड़ने के लिए फ्लाईवेज का इस्तेमाल करते हैं. कुल 9 फ्लाईवेज हैं जिनका इस्तेमाल 30 से ज्यादा देशों के पक्षी करते हैं. बिहार में आप 10-15 देशों के प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं. राजधानी जलाशय में लुप्तप्राय प्रजाति व्हाइट-आईड पोचार्ड पाई जाती है. इनमें से 30 प्रजातियां बिहार आती हैं. गेडवाल साइबेरिया, मंगोलिया और तिब्बत से आते हैं. इसके अलावा लेसर व्हिसलिंग बर्ड्स की संख्या 2000 से ज्यादा है. गंगा के किनारे भी आप कई प्रवासी पक्षियों को देख सकते हैं. कई जगहों पर लोग रहने लगे हैं जहां 15 साल पहले ये पक्षी आते थे.

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