Bihar News: भागलपुर में सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा नदी को कम से कम तीन मीटर गहरा किया जाएगा. यह निर्णय लिया जा चुका है. भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने इस कार्य को करने के लिए भारत सरकार के वन मंत्रालय से अनुमति मांगी है, लेकिन भागलपुर के वन प्रमंडल पदाधिकारी के स्तर पर प्रस्ताव लंबित रहने के कारण वन मंत्रालय से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है. इस संबंध में जलमार्ग प्राधिकरण के निदेशक वी मुरुगेसन ने डीएम को पत्र लिखा है. इसमें अनुरोध किया गया है कि लंबित एनओसी प्रस्ताव के शीघ्र निष्पादन के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं, ताकि फिजिबिलिटी स्टडी के बाद संबंधित नदी खंड में कार्रवाई की जा सके.
इसलिए जरूरी है गंगा को गहरा करना
सुल्तानगंज-कहलगांव नदी खंड राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या एक (गंगा नदी) का हिस्सा है. इसे भारत सरकार ने वर्ष 1986 में अधिसूचित किया है. जहाजों के निरंतर आवागमन के लिए जलमार्ग प्राधिकरण के नियमों के अनुसार नौवहन चैनल (फेयरवे) को न्यूनतम तीन मीटर गहरा बनाने का प्रावधान है. इसके बाद ही जहाजों का परिचालन सुचारू रूप से हो सकेगा.
डॉल्फिन क्षेत्र होने के कारण अनुमति है जरूरी
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत सुल्तानगंज से कहलगांव (60 किमी) तक विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभ्यारण्य क्षेत्र घोषित किया गया है. यह क्षेत्र पूरी दुनिया में गंगा डॉल्फिन के लिए एकमात्र अभ्यारण्य है. इसके अलावा यह क्षेत्र अन्य वन्य प्राणियों का प्राकृतिक आवास भी है. इस कारण यहां कोई काम नहीं किया जा सकता है. ऐसा करने से वन्य प्राणियों को खतरा हो सकता है. वन विभाग से मंजूरी मिलने पर ही काम किया जा सकता है. इतना ही नहीं वन विभाग द्वारा तय शर्तों को ध्यान में रखकर ही काम किया जा सकता है. इस कारण जलमार्ग प्राधिकरण ने इस क्षेत्र में ड्रेजिंग के लिए वन मंत्रालय को आवेदन दिया है.
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