11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शोभा की वस्तु बनी मोबाइल इनपीट क्रशर मशीन

पिपरवार. पिपरवार परियोजना को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाली मोबाइल इनपीट क्रशर मशीन अब सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. अब भी जब लोग इस मशीन को

पिपरवार. पिपरवार परियोजना को देश-विदेश में पहचान दिलाने वाली मोबाइल इनपीट क्रशर मशीन अब सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. अब भी जब लोग इस मशीन को देखते हैं, तो सहसा ही पिपरवार परियोजना की गौरवमयी इतिहास की याद ताजा हो जाती है. इस मशीन की विशेष उत्पादन क्षमता की वजह से सीसीएल को रेकाॅर्ड मुनाफा संभव हुआ था. लेकिन परियोजना खुली खदान में फेस की कमी होने के बाद इस मशीन को एक कोने में शोभा की वस्तु बना कर छोड़ दिया गया. जानकार कर्मियों का मत है कि हालांकि यह मशीन अपनी उम्र से ज्यादा काम कर चुकी है, लेकिन इसकी थोड़ी मरम्मत करा दी जाये तो इसे पुन: उपयोग में लाया जा सकता है. लेकिन आउटसोर्सिंग से खदानों से कोयला उत्पादन की प्रथा ने इस मशीन को बेकार साबित कर दिया है. जानकारी के अनुसार सीसीएल के वर्तमान सीएमडी एनके सिंह व वर्तमान जीएम संजीव कुमार इनपिट क्रशर मशीन के इंचार्ज रह चुके हैं. वर्ष 1990 में पिपरवार परियोजना खदान चालू होने के बाद आस्ट्रेलियन कंपनी वाइट इंडस्ट्री द्वारा वर्ष 1993 में इस मशीन को खदान में लगायी गयी थी. एस वन शॉबेल मशीन व बेल्ट बैगन मशीन के साथ इसे उस वक्त जर्मनी की एक कंपनी से 253 करोड़ में खरीदी गयी थी. खदान से तीन किमी दूर सीएचपी तक बेल्ट के माध्यम से कोयला पहुंचाता था. इस मशीन को चलाने के लिए एक शिफ्ट में छह ऑपरेटर की जरूरत पड़ती थी. इस मशीन की क्षमता 2800 टन प्रति घंटा थी. लेकिन इस मशीन से 24 घंटे में 60 हजार टन से अधिक कोयले का उत्पादन रेकार्ड है. वर्तमान में इस मशीन से जुड़ी बेल्ट परियोजना खदान में मिट्टी में दबी है. कर्मियों को उम्मीद है कि इस मशीन को किसी दूसरे परियोजना में उपयोग किया जा सकेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें