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फैशन ज्वेलरी निर्माण का हुनर सीख स्वाबलंबी बन रहीं गिद्धौर के सोहजाना की महिलाएं

जिले के गिद्धौर व खैरा में जन शिक्षण संस्थान महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

जिले के गिद्धौर व खैरा में जन शिक्षण संस्थान महिलाओं को दे रहा प्रशिक्षण

कुमार सौरभ,

गिद्धौर

कभी घर की दहलीज न लांघने वाली गांव की महिलाएं आज आर्टिफिशियल फैशन ज्वेलरी के निर्माण में दक्ष हो रही हैं. महिला सशक्तीकरण की दिशा में आत्मनिर्भर बन गांव के समृद्धि एवं विकास की एक नई इबारत लिख रही हैं. आधुनिकता के इस दौर में भारत सरकार के उद्यमशीलता मंत्रालय से संबद्ध जन शिक्षण संस्थान गांव की महिलाओं को फैशन ज्वेलरी के निर्माण का 90 दिनों का प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वाबलंबी बनाने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रहा है. वहीं प्रशिक्षित महिलाओं को संस्थान द्वारा दक्षता प्रमाण पत्र भी दिया जा रहा है. आधुनिकता के इस दौर में बढ़ते आर्टिफिशियल फैशन ज्वेलरी की बाजारों में बढ़ती मांग को देखते हुए गांव की हुनरमंद महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

बताते चलें कि आजकल पर्व त्योहार के मौसम में महिलाएं खास तरह की डिजाइनर ज्वेलरी पहनना पसंद कर रही हैं. इसी सोच को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने एवं उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय से संबद्ध जन शिक्षण संस्थान जमुई जिले के विभिन्न प्रखंडों में क्षेत्र की महिलाओं को आर्टिफिशियल ज्वेलरी बनाने की ट्रेनिंग दे रहा है. इस प्रशिक्षण के बाद ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं तरह तरह की आर्टिफिशियल ज्वेलरी का निर्माण कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. गिद्धौर के सोहजाना गांव में आभूषण निर्माण का प्रशिक्षण दे रहीं जन शिक्षण संस्थान की प्रशिक्षक दीपा कुमारी बताती हैं कि इस प्रशिक्षण को कस्टम ज्वेलरी निर्माण कहते हैं. इसके तहत ग्रामीण महिलाओं को लाह की चूड़ी, भांगड़ा चूड़ी, जालीदार चूड़ी, कान का झुमका, कान का टॉप्स, नथ, टीका, गले का सेट और अन्य ज्वेलरी निर्माण की दिशा में कुछ अलग करने का प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से दिया जा रहा है, गांव की महिलाएं इसमें रुचि भी दिखा रही हैं. 90 दिनों के प्रशिक्षण के बाद भारत सरकार से संबद्ध संस्थान द्वारा अनुमोदित दक्षता प्रमाण पत्र भी महिलाओं को दिया जा रहा है. इनके बनाये हुए आभूषण वर्तमान में कस्टमर की पहली बन रहे हैं, इसके लिए महिलाओं को निर्मित गहनों के पैकेजिंग के गुर भी सिखाये जा रहे हैं. संस्थान से प्रशिक्षित होकर महिलाएं अपने घरेलू कार्यों के साथ महीने के 5 से 10 हजार रुपये की कमाई कर घर बैठे कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. वहीं खैरा में फैशन ज्वेलरी बनाने की ट्रेनिंग दे रहीं कोमल गुप्ता बताती हैं कि महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, वे स्वरोजगार से जुड़कर अपने घर को भी संभाल रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि सामाजिक बंधनों में रहते हुए ऐसे प्रशिक्षित महिलाएं अपने हुनर एवं दृढ़ता से गांव में ही आत्मनिर्भर बन समाज के बदलाव एवं विकास की एक नयी कहानी गढ़ रही हैं.

प्रशिक्षण को लेकर कहते हैं निदेशक

भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय द्वारा प्रायोजित जन शिक्षण संस्थान जमुई के निदेशक अंशुमन बताते हैं कि जिले की 1800 महिलाओं एवं युवतियों को संस्थान द्वारा ब्यूटीशियन, सिलाई, फैशन ज्वेलरी निर्माण कंप्यूटर ट्रेंनिग आदि विभिन्न प्रकार के स्किल ट्रेनिंग देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने का संस्थान सरकार के सहयोग से प्रयास कर रहा है. महिलाओं के आर्थिक रूप से सशक्तीकरण के लिए उनमें कौशल परक शिक्षा का समावेश हो इस दिशा में संस्थान का हर संभव प्रयास जारी है.

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