संताल परगना की सभी 18 सीटों पर झारखंड मुक्ति मोरचा, कांग्रेस, राजद के पक्ष में पड़े वोटों में बंपर उछाल आया है. इसकी एक वजह तो वोटरों की संख्या में इजाफा होना है, दूसरी वजह वोटिंग प्रतिशत का बढ़ना भी है. इन सबसे भी महत्वपूर्ण वजह मंईयां सम्मान योजना, जिससे पूरे राज्य में 49 लाख महिलाओं को इंडिया गंठबंधन ने अपने विश्वास में लिया है. वहीं भाजपा के मुद्दों को वोटरों ने दरकिनार किया है. हालांकि भाजपा के वोट में भी इजाफा हुआ है, पर उनके लिए इस बढ़त की वजह केवल वोटिंग प्रतिशत में इजाफा व कुछ नये वोटरों का जुड़ना ही माना जा रहा है. जहां-जहां इस बार खूब वोटिंग हुई, वहां-वहां झामुमाे व उनके सहयोगी दलों के प्रत्याशी के वोट बढें. इसके अलावा जीत-हार के भी कई कारण रहे हैं. चुनावी समीकरण भी इसकी वजह बने. भाजपा को मिले इकलौते जरमुंडी सीट चुनावी रणनीति की वजह से ही हासिल हुई. प्रस्तुत है आनंद जायसवाल की हर सीट की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट ————————- 1. राजमहल: कमजोर प्रत्याशी को बदलना झामुमो के लिए रहा कारगर 2019 : भाजपा-88904-आजसू-76532-अंतर-12372 2024 : झामुमो-140176-भाजपा-96744-अंतर-43432 झामुमो से विधायक चुने गये मो ताजुद्दीन पिछले चुनाव में आजसू के प्रत्याशी थे. इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा के अनंत ओझा 88904 वोट लाकर विधायक बने थे. तब मो ताजुद्दीन को 76532 वोट मिले थे. तब झामुमो के प्रत्याशी केताबुद्दीन शेख को 24619 ही वोट मिले थे. इस सीट पर इस बार झामुमो प्रत्याशी के रूप में मो ताजुद्दीन का वोट 140176 रहा. उनकी जीत का अंतर 43432 रहा, जो कि पिछले चुनाव में झामुमो को प्राप्त मत से भी अधिक है. 2. बोरियाे: झामुमो छोड़कर आये लोबिन हेंब्रम पर भाजपा ने लगायी थी दांव 2019 : झामुमो-77365 भाजपा-59441-अंतर-17924 2024 : झामुमो-97317 भाजपा-78044-अंतर-19273 बोरियो सीट पर इस बार धनंजय कुमार सोरेन झामुमो से विधायक चुने गये हैं. उनका कुल वोट 97317 रहा. भाजपा के प्रत्याशी लोबिन हेंब्रम को उन्होंने 19273 वोट के अंतर से हराया है. लोबिन हेंब्रम दिग्गज नेता माने जाते हैं, पर इस बार उन्होंने पाला बदलकर भाजपा से चुनाव लड़ा था. उन्हें पिछले चुनाव में झामुमो प्रत्याशी के तौर पर 77365 वोट मिले थे, जबकि इस बार धनंजय को उनसे लगभग 20 हजार अधिक वोट मिले हैं. 3. बरहेट: आजसू से आये गमालियल को भाजपा ने बनाया था उम्मीदवार 2019 : झामुमो-73725 भाजपा-47985-अंतर-25740 2024 : झामुमो -95612 भाजपा-55821-अंतर-39791 बरहेट सीट झारखंड का सबसे वीआइपी सीट था, जहां मुकाबला हमेशा इकतरफा ही दिख रहा था. यहां मुख्यमंत्री सह झारखंड मुक्ति मोरचा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन उम्मीदवार थे. इस सीट पर हेमंत सोरेन की जीत 39791 वोट के बड़े अंतर से हुई. हेमंत सोरेन को इस चुनाव में 95612 वोट मिले, जो कि पिछले चुनाव के 73725 वोटों से 21887 वोट अधिक थे. यहां भाजपा ने गमालियल हेंब्रम को उतारा था, जो पिछली बार आजसू से खड़े हुए थे. 4. लिट्टीपाड़ा: प्रत्याशी बदलने की जरूरत महसूस कर चुकी थी झामुमो 2019 : झामुमो-66675 भाजपा-52772-अंतर-13903 2024 : झामुमो-88469 भाजपा-61720-अंतर-26749 लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर झामुमो ने सीटिंग विधायक दिनेश विलियम मरांडी का टिकट काट दिया था और हेमलाल मुर्मू जैसे पुराने दिग्गज पर भरोसा जताया था. दिनेश का टिकट काटने के झामुमो के पास कई अन्य वजह थे. पिछले चुनाव में दिनेश को 66675 वोट प्राप्त हुए थे, लेकिन इस बार हेमलाल मुर्मू को 88469 वोट मिले. श्री मुर्मू को यहां मिली जीत 26549 वोट की रही. यहां भाजपा ने जिस दानिएल किस्कू का टिकट काटा था, वे झामुमो के साथ हो गये थे. 5. महेशपुर: नये प्रत्याशी नवनीत भाजपा के लिए और साबित हुए कमजोर 2019 : झामुमो-89197 भाजपा-55091-अंतर-34106 2024 : झामुमो-114924 भाजपा-53749-अंतर-61175 महेशपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा को नया प्रयोग नुकसानदायक रहा. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां के अपने पुराने प्रत्याशी मिस्त्री सोरेन को टिकट देने की बजाय पुलिस सेवा से आये अधिकारी नवनीत हेंब्रम को चुनावी दंगल में उतारा था, लेकिन नवनीत कोई कमाल नहीं दिखा पाये, उलटे वोटर की संख्या बढ़ने के बाद भी पिछले चुनाव के बराबर वोट नहीं ला सके. जितने वोट के अंतर से दिग्गज स्टीफन मरांडी ने उन्हें हराया, उतने वोट भी नहीं ला सके. 6. शिकारीपाड़ा: बढ़ता जा रहा परितोष के हार का अंतर 2019 : झामुमो-79400 भाजपा-49929-अंतर-29471 2014 : झामुमो-102199 भाजपा-61025-अंतर-41174 परितोष सोरेन चौथी बार शिकारीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे. तीन बार उनका मुकाबला नलिन सोरेन से हुआ, अब नलिन सोरेन सांसद बन गये थे, इसलिए इसबार झामुमो प्रत्याशी के रूप में नलिन के बेटे आलोक सोरेन उनके सामने थे. परितोष ने पहला चुनाव जब जेवीएम से 2009 में लड़ा था, तब वे महज 1003 वोट से विधायक बनने से चूक गये थे. भाजपा में आये, तो हार का फासला 2014, 2019 और 2024 में क्रमश: 24501, 29471 और 41174 रहा. 7. नाला: हार गये माधव, पर भाजपा का बढ़ाया वोट ग्राफ 2019 : झामुमो -61356 भाजपा-57836-अंतर-3520 2024 : झामुमो-92702 भाजपा-82219-अंतर-10483 नाला विधानसभा क्षेत्र का चुनाव भी बेहद रोमांचक रहा. यहां से विधायक रहे रवींद्रनाथ महतो विधानसभा अध्यक्ष रहे. इस बार उन्हें अपनी जीत के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा. भाजपा ने यहां पिछला चुनाव महज 3520 वोट से हारनेवाले सत्यानंद झा को पार्टी ने टिकट नहीं दिया. श्री झा नाराज भी हुए. चुनाव लड़ने का मन भी बनाया, उन्हें मना लिया गया. आजसू से आये माधवचंद्र महतो को यहां टिकट मिला, भले ही वे जीत न सके, पर उन्होंने भाजपा के वोट ग्राफ को बढ़ाया. 8. जामताड़ा: नये वोटर जुटे, पर सीता को जीत नहीं दिला सके 2019 : कांग्रेस-112829 भाजपा-74088-अंतर-38741 2024 : कांग्रेस-133266 भाजपा-89590-अंतर-43676 जामताड़ा में कांग्रेस के डॉ इरफान अंसारी के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी ने अपने पुराने प्रत्याशी विरेंद्र मंडल की जगह पर तीन टर्म की जामा जैसी सीट से विधायक रहीं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की पतोहु सीता सोरेन को विधानसभा चुनाव में उतारा था. सीता सोरेन इससे पहले दुमका लोकसभा चुुनाव हार चुकी थी. दुमका लोस चुनाव में जामताड़ा-शिकारीपाड़ा से झामुमो को मिली बड़ी लीड से ही उनकी हार हुई थी. ऐसे में उनके अनुकूल भी यह विस सीट सही नहीं थी. 9. दुमका: लुईस समर्थकों के पाला बदलने से और मजबूत हो गया झामुमो 2019 : झामुमो-81007 भाजपा-67819-अंतर-13188 2024 : झामुमो-95685 भाजपा-81097-अंतर-14588 दुमका विधानसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा ने सुनील सोरेन को चुनावी मैदान में उतारा था. सुनील सोरेन इससे पहले 2005 में जामा से विधायक बने थे और 2019 में दुमका के सांसद. भाजपा का अंतर्कलह यहां संगठन के लोग रोक नहीं पाये. दूरियां पाट नहीं सके. इस बीच पूर्व प्रत्याशी डॉ लुईस मरांडी को दुमका से टिकट न देने का निर्णय भी दोहरा नुकसान कर गया. उनके समर्थकों ने दुमका शहर, ग्रामीण व मसलिया में बसंत सोरेन की राह आसान की. 10. जामा: सीता भाभी की जगह लुईस दीदी के रूप में मिली विधायक 2019 : झामुमो-60925 भाजपा-58499-अंतर-2426 2024 : झामुमो-76424 भाजपा-70686-अंतर-5738 जामा विधानसभा सीट झामुमो की परंपरागत सीट रही है. यहां तीन टर्म विधायक रहीं सीता सोरेन ने झामुमो छोड़ भाजपा का दामन थामा, तो सीता भाभी की जगह लुईस दीदी की इंट्री हो गयी. सीता सोरेन जामताडा विस क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बनीं. यहां सीता की बेटी जयश्री ने निर्दलीय उतरने का मन बनाया था, पर भाजपाइयों ने उन्हें मना लिया था. भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू की यहां हार की हैट्रिक हो गयी है. वे दो चुनाव 3000 से कम, पर इस बार 5738 वोट से हारे. 11. जरमुंडी: संताल परगना से अकेले कमल लेकर देवेंद्र पहुंचे सदन 2019 : कांग्रेस-52507 भाजपा-74088-अंतर-3099 2024 : कांग्रेस-77346 भाजपा -94892-अंतर-17546 संताल के जरमुंडी विधानसभा सीट से देवेंद्र कुंवर इकलौते कमल लेकर विधानसभा में पहुंचनेवाले हैं. इस सीट को निकालने के लिए भाजपा की रणनीति बिल्कुल कारगर साबित हुई, जहां दो बार के निर्दलीय विधायक व पूर्व मंत्री हरिनारायण राय का उन्हें साथ मिला. वहीं बादल के लिए इस क्षेत्र में एंटी इनकंबैंसी दिखी़. बादल पत्रलेख विधायक रहे और मंत्री भी रहे. चुनाव से कुछ महीने पहले उनका मंत्रालय छीनना भी उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित कर गया. 12 .मधुपुर: यहां भाजपा ने पांच साल में वोट लगभग दोगुने किये 2019 : झामुमो-88115 भाजपा-65046-अंतर-23069 2024 : झामुमो-143953 भाजपा-123926-अंतर-20027 मधुपुर विस क्षेत्र में भी भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा. यहां भी भाजपा ने अपने रुठे कार्यकर्ताओं-नेताओं को मनाने और मनभेद को खत्म करने का सफल प्रयास किया था. बावजूद अंतर्कलह की बात सामने आयी. मधुपुर से सटे इलाके में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक सभा भी चुनाव से पहले हुई थी, बावजूद झामुमो प्रत्याशी और हेमंत सरकार के मंत्री हफीजुल हसन के जीत के रथ को रोकने में भाजपा नाकाम रही. यहां 2019 की तुलना में भाजपा के वोटर लगभग दोगुने हुए तथा हार का अंतर भी कमा. 13. सारठ: झामुमो के लिए प्रत्याशी बदलना काफी कारगर साबित हुआ 2019 : झामुमो-25482 भाजपा-90895-अंतर-28720 2024 : झामुमो-135219 भाजपा-97790-अंतर-37429 सारठ विधानसभा क्षेत्र में झारखंड मुक्ति मोरचा के लिए अपना प्रत्याशी बदलना काफी कारगर साबित हुआ, 2019 के चुनाव में यहां से झामुमो ने परिमल कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया था, जिन्हें महज 25 हजार वोट ही प्राप्त हुुए थे, जबकि तब झारखंड विकास मोरचा से चुनाव लडने वाले उदय शंकर सिंह उर्फ चुन्ना सिंह को 62175 वोट मिले. इस चुनाव के बाद झामुमो के नजदीक आये चुन्ना सिंह ने पार्टी के वोट को पांच गुणा किया. 14. पोड़ैयाहाट: प्रदीप के 5 साल में 40 हजार से अधिक बढ़े वोटर 2019 : झाविमो-77358 भाजपा-63761-अंतर-13597 2024 : कांग्रेस-117842 भाजपा-83712-अंतर-34130 पोड़ैयाहाट विस क्षेत्र से प्रदीप यादव लगातार छठी बार विधायक चुने गये हैं. श्री यादव इसके पहले 2019 के चुनाव को झारखंड विकास मोरचा के उम्मीदवार के तौर पर जीता था. बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गये थे. इस चुनाव को उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ा. इस चुनाव में श्री यादव का वोटिंग ग्राफ लगभग 40 हजार बढा है, जबकि पिछले 5 साल में भाजपा के वोटरों में लगभग 20000 का इजाफा हुआ. यहां भाजपा प्रत्याशी बदलने के बाद भी हार का अंतर 20 हजार बढ़ गया. 15. गोड्डा: भाजपा गोड्डा में नहीं बढ़ा सकी अपने वोटर 2019 : भाजपा-87578 राजद-83066-अंतर-4512 2024 : भाजपा-88016 राजद-109487-अंतर-21471 लगभग सभी विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की संख्या में पिछले पांंच साल में इजाफा हुआ, लेकिन गोड्डा सीट में भाजपा के अमित कुमार मंडल के पक्ष में महज 438 वोटर ही नये जुटे. राजद प्रत्याशी संजय प्रसाद यादव के पक्ष में इस बार खुलकर मतदान हुआ. उन्हें पिछली हार 4512 वोट से ही हुई थी, जिसे न केवल उन्होंने पाटा, बल्कि जीत के अंतर को 21471 तक पहुंचा दिया. हेमंत की आंधी का असर इस गोड्डा सीट में भी खूब दिखा. वोटों की बढ़त में महिलाओं की भूमिका अहम रही. 16. महागामा : अनुभवी प्रत्याशी भी नहीं खिला पाये कमल महागामा सीट पर भाजपा ने पुराने अनुभवी प्रत्याशी अशोक कुमार भगत को लड़ाया था, लेकिन इस चुनाव में भी कांग्रेस की सिटिंग विधायक दीपिका पांडे सिंह को नहीं हरा पाये. हेमंत की आंधी में महिला प्रत्याशी को वोटरों ने एक बार फिर वोट किया. 2019 चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का अंतर छह हजार से बढ़ गया. यानी चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और मजबूत हुईं. 2019 : कांग्रेस-89224 भाजपा-76725-अंतर-12499 2024 : कांग्रेस-114069 भाजपा-95424-अंतर-18645 17. पाकुड़: अपने पति से भी अधिक वोटों से जीती निशात आलम भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में बंद पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की पत्नी निषाद आलम को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया और उन्होंने पूरे झारखंड में रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिबंध आजसू के अजहर इस्लाम को 86029 वोटो से पराजित किया. तीसरे नंबर पर 47039 वोट अकील अख्तर ने प्राप्त किया. कुल मिलाकर देखा जाये तो यहां भ्रष्टाचार का मुद्दा फीका पड़ गया, जिसे भाजपा ने हर चुनावी सभा में उठाया. 2019 : कांग्रेस-128218 भाजपा-63110-अंतर-65108 2024 : कांग्रेस-155827 आजसू-69798-अंतर-86029 18. देवघर : दूसरी बार कम वोट से जीते, इस बार बड़े अंतर से हारे नारायण देवघर सीट पर इस बार राजद के सुरेश पासवान ने जीत का परचम लहराया है. 2019 के चुनाव में किसी तरह कम मार्जिन से जीतकर विधानसभा पहुंचे भाजपा प्रत्याशी नारायण दास इस बार बड़े अंतर से हार गये. हेमंत की आंधी में यहां भाजपा का वोट प्रतिशत राजद के मुकाबले 13.62 फीसदी कम रहा. 2014 की बात करें तो देवघर विधानसभा में मोदी लहर के कारण भाजपा प्रत्याशी नारायण दास ने 45152 वोटों से राजद को शिकस्त दी थी. 2019 : राजद -92867 भाजपा-95491-अंतर-2624 2024 : राजद-156079 भाजपा-116358-अंतर-39721
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