बेगूसराय. केंद्र एवं राज्य सरकार के किसान-मजदूर विरोधी एवं जनविरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा, केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों एवं खेतिहर मजदूर यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा राष्ट्रव्यापी चेतावनी प्रतिवाद कार्रवाई के तहत बेगूसराय में भी चेतावनी प्रतिवाद मार्च एवं समाहरणालय के दक्षिण द्वार पर विशाल प्रदर्शन सह धरना आयोजित किया गया. धरना-प्रदर्शन में जिले के विभिन्न क्षेत्रों से सैंकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए. प्रतिवाद मार्च की अध्यक्षता सीटू राज्य सचिव सुरेश प्रसाद सिंह,एटक नेत्री आंगनबाड़ी की जिला सचिव संगीता झा एवं किसान महासभा के जिला अध्यक्ष नवल किशोर की तीन सदस्यीय अध्यक्ष मंडली ने किया. धरना को बिहार राज्य किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सह बेगूसराय के पूर्व विधायक राजेंद्र प्रसाद सिंह, पूर्व विधान पार्षद उषा सहनी,सीटू राज्य सचिव अंजनी कुमार सिंह,एटक जिला सचिव प्रहलाद सिंह, ललन लालित्य,एक्टू नेता राजेश श्रीवास्तव किसान कौंसिल के जिला अध्यक्ष सुरेश यादव, किसान सभा के जिला अध्यक्ष दिनेश सिंह, जिला सचिव अरविंद सिंह , बिहार प्रांतीय खेतीहर मजदूर यूनियन के संयुक्त सचिव सूर्य नारायण रजक,सीटू के अभिनंदन झा, आंगनबाड़ी की जिला सचिव नीलम झा आदि ने संबोधित किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति महामहिम श्रीमती द्रोपदी मुर्मू को जिला समाहर्ता के माध्यम से प्रदर्शनकारियों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा मांग पत्र सौंपा गया.इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों ने मुख्य मांगें सभी फसलों की खरीद के साथ एमएसपी की कानूनी गारंटी करने , किसान मजदूरों की ऋण माफी, आम जनता के लिए खाद्य सुरक्षा की गारंटी करने,बिजली क्षेत्र का निजीकरण पर रोक एवं प्रीपेड स्मार्ट मीटर योजना वापसी करने, कॉरपोरेट कम्पनियों के लिए अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण पर रोक लगाने, फसलों और पशुपालन के लिए सार्वजनिक क्षेत्र में व्यापक बीमा योजना, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने, आंगनबाड़ी, ममता, एमडीएम रसोइया सहित सभी योजनाकर्मियों एवं मजदूरों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 26 हजार रुपये के न्यूनतम मासिक वेतन देने, साठ वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्ग व वृद्ध खेत मजदूरों एवं किसानों के लिए 10 हजार रुपये की मासिक पेंशन योजना, सार्वजनिक क्षेत्र निजीकरण पर रोक,राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन को समाप्त करने, श्रम में ठेकेदारी प्रथा पर रोक,पुराने पेंशन स्कीम को लागू करने,भारतीय श्रम सम्मेलन प्रति वर्ष पुनः आयोजित करने, मनरेगा में 200 दिन काम और 600 रुपये मजदूरी,डी. बंद्योपाध्याय भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट लागू करने, भूमि हदबंदी से फाजिल, भूदान एवं सरकारी गैर मजरूआ जमीन को गांव के खेतिहर मजदूरों एवं गरीब किसानों को बांटने ,भूमि सम्बन्धी सभी दस्तावेजों को हिन्दी में उपलब्धता की गारंटी करने तथा जमीन संबंधी अशुद्धियों, गलतियों एवं अनियमितताओं के परिष्कार के बाद ही विशेष भूमि सर्वेक्षण के काम को आगे बढ़ाने, आनन-फानन एवं जल्दबाजी में भूमि सर्वेक्षण के काम पर अविलंब रोक लगाने, बिहार में कृषि मंडी को पुनर्बहाली, बिहार में उचित जलप्रबंधन के जरिए बाढ़, सुखाड़ एवं जल जमाव की समस्या का स्थायी समाधान, वन क्षेत्र पर आदिवासियों के परम्परागत नैसर्गिक अधिकारों को सुनिश्चित किए जाने, असंगठित क्षेत्र के निबंधित मजदूरों के जन कल्याण हेतु श्रम विभाग में संचित करोड़ों रुपये की राशि में हो रहे भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच एवं दोषियों को सजा, खाद बीज की किल्लत,कालाबाजारी एवं किसानों को व्यापारियों द्वारा जबरदस्ती खाद की नैनो उत्पाद खरीदने को बाध्य किए जाने पर अविलंब रोक, बेगूसराय में कल कारखानों में स्थानीय लोगों को बहाली करने समेत कई अन्य स्थानीय मांगों को लेकर वक्ताओं ने अपनी आवाज बुलंद की.
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