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जमानत मिलने के बाद अब सीबीआइ ने शांतनु बनर्जी को हिरासत में लिया

कलकत्ता हाइकोर्ट से मंगलवार को जमानत मिलने के बाद भी राहत नहीं मिली

कोलकाता. शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार के मामले के गिरफ्तार आरोपी शांतनु बनर्जी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज किये गये मामले में कलकत्ता हाइकोर्ट से मंगलवार को जमानत मिलने के बाद भी राहत नहीं मिली. उसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने इसी दिन स्पेशल सीबीआइ कोर्ट के निर्देश पर अपनी हिरासत में ले लिया. इस दिन हाइकोर्ट की न्यायाधीश शुभ्रा घोष ने शांतनु बनर्जी को 10 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी थी. इसके साथ ही न्यायाधीश ने शांतनु बनर्जी को पासपोर्ट जमा करने व निचली अदालत में सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश भी दिया. इधर, शांतनु को अपनी हिरासत में लेने के लिए पहले ही सीबीआइ ने स्पेशल सीबीआइ कोर्ट में आवेदन किया था. केंद्रीय जांच एजेंसी के आवेदन पर आरोपी के प्रोडक्शन वारंट की अनुमति भी मिली थी. इस दिन अदालत में हुई सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से आरोप लगाया गया कि शांतनु ने नौकरी चाहने वालों से करोड़ों रुपये वसूले थे. इधर, शांतनु के वकील ने सवाल किया कि सीबीआइ मामले की जांच दो वर्षों से भी ज्यादा समय से कर रही है. इतने समय बाद उनके मुवक्किल को सीबीआइ हिरासत में क्यों लेना चाहती है? वह भी मामले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी जितना प्रभावशाली भी नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि सीबीआइ हिरासत क्यों चाहती है? यह कोई रणनीति का हिस्सा है? जवाब में सीबीआइ के अधिवक्ता ने कहा कि मामले की जांच के तहत मिले कुछ डिजिटल सबूतों और बयानों से सुजय कृष्ण भद्र और शांतनु का नाम सामने आया है, इसलिए उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है. कोर्ट ने उस दलील को स्वीकार करते हुए शांतनु को चार दिनों यानी 29 नवंबर तक की सीबीआइ हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया है. गौरतलब है कि गत वर्ष हुगली के पूर्व तृणमूल युवा नेता शांतनु बनर्जी को नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया गया था. उस मामले के आरोपी तापस मंडल के बयान से पहले कुंतल घोष और उसके बाद शांतनु बनर्जी का नाम सामने आया था. तापस मंडल ने अपने बयान में कहा था कि हुगली के ये दोनों पूर्व तृणमूल नेता नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले के सरगनाओं में से एक हैं. इसके बाद ईडी अधिकारियों ने शांतनु बनर्जी के घर की तलाशी ली थी, जहां से ईडी को प्राथमिक शिक्षक के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की तालिका मिली थी. मालूम हो कि उस सूची में राज्य के 17 जिलों के 346 अभ्यर्थियों के नाम थे. ईडी की चार्जशीट में कहा गया है कि शांतनु बनर्जी को 26 उम्मीदवारों को नौकरी दिलाने के लिए करीब करोड़ 39 लाख रुपये मिले थे. बाद में आरोप लगाया गया कि उन्होंने अलग-अलग नामों से खाते खोल कर काले धन को सफेद करने की कोशिश की.

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