14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाल विवाह रोकने के लिए सामाजिक जागरुकता जरूरी

बाल विवाह जैसी कुरीतियों को मिटाने के लिए आगे आयें

मधुपुर. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को लेकर बुधवार को आश्रय व कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में 250 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के देशव्यापी गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन है. भारत सरकार के नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बाल विवाह के खिलाफ काम कर रहे गैर सरकारी संगठन आश्रय के साथ मिलकर जागरुकता रैलियों का आयोजन किया और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलायी. आश्रय बच्चों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 400 से भी ज्यादा जिलों में काम कर रहे 250 से भी ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी सदस्य है. इस अवसर पर देवघर समाहरणालय में हुए समारोह में जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कुमारी रंजना ने स्कूली बच्चों, महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों व अन्य को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलायी. जिले में जगह-जगह हुए कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों, पंचायत प्रतिनिधियों, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, बाल विवाह निषेध अधिकारी के अलावा बाल विवाह पीड़िताओं ने भी भागीदारी की और बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली. कार्यक्रम देश से बाल विवाह के खात्मे के लिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत के आह्वान के समर्थन में किया गया. जिसका उद्घाटन 27 नवंबर को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने किया. इस दौरान उन्होंने पंचायतों और स्कूलों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलायी. उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही शपथ लेने वालों की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच जायेगी. मौके पर बाल विवाहों की सूचना व शिकायत के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी शुरू किया गया. वहीं, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी कुमारी रंजना ने कहा बाल विवाह एक अभिशाप है. जो बच्चों के अधिकारों, सुरक्षा, स्वतंत्रता और उनके शिक्षा में सबसे बड़ी बाधा है और बच्चों के बचपन को खत्म करने का काम करता है, इसलिए हम सभी का दायित्व है कि हम बाल विवाह को खत्म करने की हर संभव प्रयास करें और अपने देवघर जिला को बाल विवाह मुक्त बनाएं. राष्ट्रव्यापी अभियान और जमीन पर इसके असर की चर्चा करते हुए आश्रय के निदेशक दीपा कुमारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बाल विवाह के खात्मे के लिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया अभियान इस बात का सबूत है कि सरकार इस सामाजिक बुराई की गंभीरता से अवगत है. आज भी देश में 23 प्रतिशत से ज्यादा लड़कियों का बाल विवाह होता है जो न सिर्फ जीवनसाथी चुनने के उनके अधिकार का हनन है बल्कि इससे लड़कियों की शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ रोजगार और आर्थिक निर्भरता की उनकी संभावनाओं पर भी बेहद बुरा असर होता है. सरकार की योजना इस अभियान में सभी हितधारकों को साथ लेकर चलने की है और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन का सहयोगी संगठन होने के नाते हम इसमें पूरी तरह साथ हैं. वर्षों से बाल विवाह के खिलाफ काम करने के नाते हम भली भांति जानते हैं कि समग्र और समन्वित प्रयासों के बिना यह लड़ाई नहीं जीती जा सकती. लेकिन अब हमें विश्वास है कि सरकार और नागरिक समाज के साझा प्रयासों से भारत 2030 से पहले ही बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल कर सकता है. ————————————————————————- स्टूडेंट्स, महिलाओं और पंचायत प्रतिनिधियों को दिलायी गयी शपथ

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें